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2020 की आखिरी मन की बात में पीएम मोदी ने सुनाई 6 प्रेरणास्पद कहानियां

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, रविवार, 27 दिसंबर 2020 (12:31 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 2020 की आखिरी मन की बात में कई प्रेरणास्पद कहानियां सुनाई। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध करते रहते हैं। जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की उर्जा समाज हमें खुद ही देता है।
 
 
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पीएम मोदी ने कहा कि आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें।
 
लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊँची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए। 

आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी – माता गुजरी ने भी शहादत दी थी। लोग, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गयी शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी।

प्रधानमंत्री ने मन की बात में कर्नाटक के युवा ब्रिगेड की प्रेरणादायक कहानी सुनाई। इन्होंने श्रीरंगपट्न के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिवमंदिर का कायाकल्प कर दिया। मंदिर के आसपास इतनी घास फूस थी कि कोई बता नहीं सकता था कि यहां कोई मंदिर है।
 
एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। युवा ब्रिगेड ने जब इस वीडियो को देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया। 

ये सभी युवा कई अलग तरह के प्रोफेशन से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन्होंने विकेंड पर समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया। यहां की साफ सफाई की। युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का कनेक्शन भी लगवाया। इन्हें आगे आते देख स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आए और अपना योगदान दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें। जिज्ञासा की ऐसी ही ऊर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी के बारे में। 
 
दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं। लेकिन, कंप्यूटर आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने, 86 साल की उम्र में, कंप्यूटर सीखा। 

उन्होंने तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में भी बताया। आपने भी सोशल मीडिया पर इसके विजवल्स देखे होंगे। हम सबने इंसानों वाली व्हीलचेयर देखी है, लेकिन, कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिताजी के साथ, एक पीड़ित डॉग के लिए व्हीलचेयर बना दी।
 
ये संवेदनशीलता, प्रेरणा देने वाली है, और, ये तभी हो सकता है, जब व्यक्ति हर जीव के प्रति, दया और करुणा से भरा हुआ हो।

गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से Healing Himalayas नाम से अभियान चला रहे हैं। वो अपनी टीम औके साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहां छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं। वे हिमालय से अब तक टनों कचरा साफ कर चुके हैं। 

इसी तरह कर्नाटक के एक युवा दंपति हैं, अनुदीप और मिनुषा। आप जानकर हैरान रह जाएंगे। इन लोगों ने मिलकर सोमेश्वर बीच से 800 किलो से ज्यादा कचरा साफ किया है। हमें ये संकल्प लेना चाहिए, कि हम, कचरा फैलाएंगे ही नहीं। हमें देश को single use plastic से मुक्त करना ही है । ये भी 2021 के संकल्पों में से एक है।

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