नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को ‘अटल भूजल योजना’ (अटल जल) की शुरुआत की जिससे 7 राज्यों के 8,350 गांवों को फायदा होगा। उन्होंने इसके साथ ही लेह और मनाली को जोड़ने वाली सुरंग का नामकरण ‘अटल टनल’ करने की घोषणा की।
मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में यह घोषणा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे।
मोदी ने कहा कि आज देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण एक बड़ी परियोजना का नाम अटलजी को समर्पित किया गया है। हिमाचल प्रदेश को लद्दाख और जम्मू कश्मीर से जोड़ने वाली, मनाली को लेह से जोड़ने वाली, रोहतांग टनल, अब अटल टनल के नाम से जानी जाएगी।
रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला 3 जून 2000 को लिया गया था जब अटलबिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। सुंरग के दक्षिणी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।
कुल 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनाई गई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। इससे सड़क मार्ग से मनाली से लेह की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। 15 अक्टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण पूरा कर लिया गया। सुरंग का निर्माण जल्दी ही पूरा होने वाला है।
अटल जल योजना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी का विषय अटलजी के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, उनके हृदय के बहुत करीब था। अटल जल योजना हो या फिर जल जीवन मिशन से जुड़े दिशा-निर्देश हों, 2024 तक देश के हर घर तक जल पहुंचाने के संकल्प को सिद्ध करने में यह एक बड़ा कदम हैं।
उन्होंने कहा कि पानी का संकट एक परिवार के रूप में, एक नागरिक के रूप में हमारे लिए चिंताजनक तो है ही, एक देश के रूप में भी यह विकास को प्रभावित करता है।
मोदी ने कहा कि न्यू इंडिया को हमें जल संकट की हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार करना है। इसके लिए हम पांच स्तर पर एक साथ काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय ने इस विभागीय पहल से पानी को बाहर निकाला और समग्र सोच को बल दिया। उन्होंने कहा कि इसी मानसून में हमने देखा है कि समाज की तरफ से, जलशक्ति मंत्रालय की तरफ से जल संरक्षण के लिए कैसे व्यापक प्रयास हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ जल जीवन मिशन है, जो हर घर तक पाइप से जल पहुंचाने का काम करेगा और दूसरी तरफ अटल जल योजना है, जो उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगी जहां भूजल स्तर बहुत नीचे है।
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य 7 राज्यों - गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में प्राथमिकता की पहचान वाले क्षेत्रों में सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भू-जल प्रबंधन में सुधार लाना है।
इस योजना के कार्यान्वयन से इन राज्यों के 78 जिलों की लगभग 8,350 ग्राम पंचायतों को लाभ मिलने की उम्मीद है। अटल जल मांग पक्ष प्रबंधन पर प्राथमिक रूप से ध्यान देते हुए ग्राम पंचायत के नेतृत्व में भू-जल प्रबंधन तथा व्यवहार्य परिवर्तन को बढ़ावा देगा।
अटल भूजल योजना पर 6000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय में 50 प्रतिशत विश्व बैंक ऋण के रूप में होगा और शेष 50 प्रतिशत नियमित बजटीय सहायता से केन्द्रीय मदद के रूप में होगा। राज्यों को विश्व बैंक का पूरा ऋण घटक और केन्द्रीय मदद, अनुदान के रूप में दी जाएगी।
अटल जल योजना के तहत राज्यों में स्थायी भू-जल प्रबंधन के उद्देश्य से संस्थागत प्रबंधनों को मजबूत बनाने के लिए संस्थागत मजबूती और क्षमता निर्माण घटक, इसमें नेटवर्क निगरानी और क्षमता निर्माण में सुधार तथा जल उपयोगकर्ता संघों को मजबूत बनाने का कार्य शामिल है।
इसके साथ ही डेटा विस्तार, जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना, मौजूदा योजनाओं के समन्वय के माध्यम से प्रबंधन प्रयासों को लागू करना, मांग पक्ष प्रबंधन प्रक्रियाओं को अपनाने जैसी उन्नत भू-जल प्रबंधन प्रक्रियाओं में उपलब्धियों के लिए राज्यों को प्रोत्साहन देने पर भी जोर दिया गया है। इस योजना से विभिन्न स्तरों पर क्षमता निर्माण तथा भू-जल निगरानी नेटवर्क में सुधार के लिए संस्थागत मजबूती से भू-जल डेटा भंडारण, विनिमय, विश्लेषण और विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।