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शिवलिंग साथ लेकर चलती थीं अहिल्या बाई होलकर, पीएम मोदी ने बताया भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 31 मई 2025 (12:43 IST)
PM Modi on ahilya bai holkar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहिल्याबाई होलकर पर डाक टिकट जारी करते हुए उन्हें भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक बताया। उन्होंने कहा कि वे नारी शक्ति की प्रतिक थीं और उनकी सोच जनसेवा थी। उनकी सोच को आगे बढ़ाना है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती है। 140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भगीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई होल्कर कहतीं थी की शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर उनकी याद में डाक टिकट और 300 रुपए का सिक्का जारी किया। उन्होंने इंदौर मेट्रो, सतना और दतिया के एयरपोर्ट समेत कई परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई।
 
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है।
 
उन्होंने कहा कि 250-300 साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना कि आने वाली अनेक पीढियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था। लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जनसेवा को कभी अलग नहीं माना। कहते हैं कि वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थी। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व, कांटों से भरा ताज, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे,  तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया।

उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी मिलेगी।

उन्होंने कहा कि माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली माता अहिल्याबाई जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और उनसे प्रार्थना करता हूं कि आप जहां भी हो हम पर अपना आशीर्वाद बनाएं रखें। देवी अहिल्याबाई का एक प्रेरक कथन है। उसका भाव यही था कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया गया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। 

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। उस जमाने में जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए। आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं Catch The Rain यानी बारिश के पानी की एक-एक बूंद को बचाओ। देवी अहिल्याबाई जी ने 250-300 साल पहले हमें ये काम बताया था।
edited by : Nrapendra Gupta 

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