नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन के दो सत्रों को संबोधित किया। उन्होंने क्लाइमेट चेंज और ओपन सोसाइटीज (जलवायु परिवर्तन और खुला समाज) सेशन में अपनी बातें रखीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का एक स्वाभाविक साझेदार है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, जी-7 शिखर सम्मेलन के मुक्त समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्थाएं सत्र में मोदी ने अपने डिजिटल संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
मोदी ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और जेएएम (जन धन-आधार-मोबाइल) तीनों के माध्यम से भारत में सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्रांतिकारी प्रभाव को भी रेखांकित किया।
विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (आर्थिक संबंध) पी. हरीश ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में मुक्त समाजों में निहित संवेदनशीलताओं का जिक्र किया और प्रौद्योगिकी कंपनियों तथा सोशल मीडिया मंचों का आह्वान किया कि वे अपने यूजर्स के लिए सुरक्षित साइबर परिवेश सुनिश्चित करें। अतिरिक्त सचिव ने कहा कि सम्मेलन में मौजूद अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री के विचारों की सराहना की।
हरीश ने कहा कि जी-7 नेताओं ने स्वतंत्र, मुक्त और नियम आधारित हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और क्षेत्र में साझेदारों का सहयोग करने का संकल्प लिया।
कोविड-19 महामारी का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि जी-7 सत्रों में भारत की भागीदारी से समूह की यह सोच प्रतिबिंबित होती है कि हमारे समय की सबसे बड़ी समस्याका समाधान भारत की भागीदारी के बिना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत स्वास्थ्य सहित सभी बड़े मुद्दों पर जी-7 और अतिथि साझेदारों के साथ गहराई से जुड़ा रहेगा। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जी-7 शिखर सम्मेलन में कोविड रोधी टीकों पर पेटेंट छूट संबंधी भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव पर विषय वस्तु आधारित चर्चा के लिए व्यापक समर्थन था। सात देशों के समूह जी-7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं।
जी-7 के अध्यक्ष के रूप में ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका को शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। यह सम्मेलन ब्रिटेन के कॉर्नवाल में 11 से 13 तक हुआ। कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से यह पहली बार था जब समूह के नेता व्यक्तिगत रूप से मिले।
चीन को चुनौती देने पर बनी सहमति : जी-7 के नेताओं के कहा है कि वे चीन की बाजार निर्देशित अर्थव्यवस्था से भिन्न पद्धतियों को चुनौती देने के लिए मिलकर काम करेंगे। साथ ही उन्होंने उससे झिनजियांग एवं हांगकांग में मानवाधिकार का सम्मान करने का आह्वान किया।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन के साथ आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धा करने के लिए साथी लोकतांत्रिक नेताओं को अधिक एकजुट मोर्चा पेश करने पर राजी करना चाहते थे। उन्होंने चीन की बाजार निर्देशित अर्थव्यवस्था से भिन्न तरीकों एवं मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर उसकी निंदा की।
रविवार को प्रकाशित इस समूह के बयान में जी-7 ने कहा कि चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था को मिल रही प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में , हम बाजार निर्देशित अर्थव्यस्था से भिन्न नीतियों एवं पद्धतियों को चुनौती देने के लिए सामूहिक पहल के वास्ते परामर्श करते रहेंगे क्योंकि ऐसे तरीके वैश्विक अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष एवं पारदर्शी संचालन को कमजोर बनाते हैं।
जी-7 के नेताओं ने यह भी कहा कि वे चीन से झिनजियांग और अर्धस्वायत्त शहर हांगकाग में मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान करके अपने मूल्यों को बढ़ावा देते रहेंगे। चीन पर झिनजियांग में उईग्यूर अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करने का आरोप है।