नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को चीन को कड़ा संदेश देते हुए सीधी चेतावनी दी है कि अब विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है। ऐसा कहकर दरअसल, मोदी ने भारत के इरादों को जाहिर कर दिया है कि वह न तो किसी शक्ति से दबने वाला और न ही झुकने वाला है।
हालांकि मोदी के दौरे से चीन की बौखलाहट भी खुलकर सामने आ गई है। उसने कहा है कि जब राजनयिक और सैन्य स्तर पर शांति वार्ता चल रही हो तो ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए। दूसरी ओर, मोदी ने चीन की शांति वार्ता पर ही परोक्ष रूप से सवाल उठा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने चीन को 'महाकमजोर' बताते हुए कहा कि कमजोर पक्ष कभी भी शांति की बात नहीं करता। वीरता ही शांति की पहल करती है।
मोदी ने चीन की विस्तारवादी नीति पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि अब विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है। अब विकासवाद का युग है। ऐसा कहकर उन्होंने चीन को यह संदेश देने की कोशिश की कि विकास के रास्ते पर बढ़कर ही कोई देश आगे बढ़ सकता है, तरक्की कर सकता है।
चीन के अपने पड़ोसियों और दुनिया के दूसरे देशों के साथ विवाद जगजाहिर हैं, ऐसे में मोदी ने इशारों ही इशारों में चीन को पूरी दुनिया के लिए खतरा बता दिया। गलवान घाटी में चीन की हरकत को 'आक्रमण' करार देते हुए मोदी ने कहा कि हर आक्रमण के बाद भारत और मजबूत हुआ है। उल्लेखनीय है कि कोरोनावायरस के संक्रमण के बाद अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन आदि बड़े देश भी चीन पर सवाल उठा चुके हैं।
भारत के वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा कि लेह-लद्दाख के पत्थर भी भारतीय सैनिकों की वीरता की गवाही देते हैं। गलवान में भी भारतीय सैनिकों ने अद्भुत शौर्य का परिचय दिया है। शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए मोदी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि हम बांसुरीधारी कृष्ण के पुजारी हैं, लेकिन उतनी ही शिद्दत से हम 'चक्रधारी' को भी पूजते हैं। अर्थात समय आने पर भारत शत्रु पर प्रहार करने से भी नहीं चूकता।