नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 11,400 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले के लिए नियामकों-लेखा परीक्षकों की अपर्याप्त निगरानी और ढीले बैंक प्रबंधन को आज जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि घोटालेबाजों को दंडित करने के लिए यदि जरूरत पड़ी तो नियमों को सख्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के नियामक नेताओं की तरह जवाबदेह नहीं हैं।
इस सप्ताह में घोटाले पर दूसरी बार बोलते हुए जेटली ने कहा कि घोटालेबाजों के साथ कर्मचारियों की साठगांठ परेशान करने वाली बात है। किसी ने इस पर आपत्ति नहीं की, यह भी परेशान करने वाली बात है। नियामकों को धोखाधड़ी की पहचान एवं इन्हें रोकने के लिए तीसरी आंख खुली रखनी चाहिए।
'ईटी ग्लोबल बिजनेस समिट' में उन्होंने कहा कि उद्यमियों को नैतिक कारोबार की आदत डालने की जरूरत है, क्योंकि इस तरह के घोटाले अर्थव्यवस्था पर धब्बा हैं और ये सुधारों एवं कारोबार सुगमता को पीछे धकेल देते हैं। कर्जदाता-कर्जदार के संबंधों में अनैतिक व्यवहार का खत्म होना जरूरी है। यदि जरूरत पड़ी तो संलिप्त व्यक्तियों को सजा देने के लिए नियमों को सख्त किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाने को लेकर बैंक प्रबंधन की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि बैंक में क्या चल रहा है? इससे शीर्ष प्रबंधन की अनभिज्ञता और अपर्याप्त निगरानी चिंताजनक है। (भाषा)