महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व मुखिया रहे दबंग पुलिस ऑफिसर हिमांशु रॉय, हाल ही में जिन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। वे लंबे समय तक ब्लड कैंसर से पीड़ित रहे। इस दबंग पुलिस ऑफिसर का खौफ माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम में भी था। पेश है उनके जीवन से जुड़ी दस खास बातें...
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दबंग पुलिस अधिकारी हिमांशु रॉय एक बॉडी बिल्डर के रूप में भी जाने जाते थे। उनके बॉडी बिल्डिंग के शौक के पीछे महाराष्ट्र के एक बड़े राजनेता का तंज था। हिमांशु पहले दुबले-पतले थे। जब वे ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पर थे, तब उन्हें सरकार की तरफ से एक बड़े नेता को गिरफ्तार करने का जिम्मा सौंपा गया। जब वे उस नेता के घर पहुंचे तो उन्हें मराठी में कहा गया, 'एक पिद्दी सा पुलिस अफसर मुझे गिरफ्तार करने आया है।' बस यही बात हिमांशु को चुभ गई और उन्होंने उसी समय से अपनी बॉडी बनाने की ठान ली। इसके बाद रॉय ने ऐसी बॉडी बनाई कि उन्हें 'पहलवान' पुलिस अफसर कहकर बुलाया जाने लगा। वे इरोज सिनेमा के पास एक जिम में प्रतिदिन सुबह जाते थे।
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हिमांशु ने अपने कॉलेज की पढ़ाई मुंबई के सेंट ज़ैवियर कॉलेज से की थी। उनके पिता कोलाबा में डॉक्टर थे। हिमांशु ने 12वीं के बाद मेडिसिन में ग्रेजुएशन करने की सोची, बाद में सीए की पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन इसे भी छोड़कर 2 साल बाद उन्होंने आईपीएस की परीक्षा दी और पुलिस अफसर बन गए। इसी दौरान उन्हें 1988 का बैच मिला।
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हिमांशु रॉय की शादी को लेकर भी रोचक बात सामने आई है। जब वे आईपीएस की परीक्षा देने गए थे, तभी उनकी मुलाकात वहां भावना से हुई, जो कि मशहूर लेखक अमीश त्रिपाठी की बहन थीं और वह ही उस समय आईपीएस का पेपर ले रही थीं। उसी दौरान मुलाकात आगे बढ़ी, जो दोस्ती से शादी तक जा पहुंची और उसके बाद साल 1992 में भावना और हिमांशु विवाह बंधन में बंध गए।
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दबंग पुलिस ऑफिसर हिमांशु रॉय ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और बाद में उनके करियर ने तेजी से रफ्तार पकड़ ली, लेकिन उनकी पत्नी भावना ने आईएएस की नौकरी छोड़ दी और वे एचआईवी पीड़ितों सहित समाज कल्याण के लिए काम करने लगीं।
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हिमांशु की इससे पहले 1991 में पहली पोस्टिंग मालेगांव में हुई थी, जहां उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुंबई में जो हालात बिगड़े थे, उस समय वहां के हालात को संभाला था। 1995 में वे नासिक के सबसे युवा एसपी बने और फिर उसके बाद करियर की ऊंचाइयों को छूते चले गए।
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हिमांशु रॉय इकलौते ऐसे पुलिस ऑफिसर थे, जिन्हें Z+ सुरक्षा दी गई थी। उनके अलावा मुंबई पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को भी जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई, लेकिन हिमांशु रॉय को उनसे भी ऊपर की सुरक्षा मिली थी।
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कहा जाता है कि भारत में दाऊद की अब तक जितनी भी संपत्तियां जब्त हुई हैं, उसके पीछे भी हिमांशु रॉय का ही हाथ था। यही कारण था कि वे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के निशाने पर थे।
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इंडियन मुजाहिद्दीन के मुखिया यासीन भटकल के मुंबई और पुणे ब्लास्ट मामले की जांच 2013 में हिमांशु रॉय को सौंपी गई थी। उसके बाद से ही उनकी जान पर खतरा था। यही वजह थी कि एक कमेटी ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने की सिफारिश की थी।
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कुछ समय पहले आतंकियों ने एटीएस के नागपाड़ा हेडक्वार्टर की रेकी की थी। उस समय हिमांशु रॉय ही एटीएस के प्रमुख थे। सुरक्षा में चूक के बाद यहां एक नया सिक्योरिटी रूम तैयार कराया गया था।
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हिमांशु रॉय को महाराष्ट्र पुलिस में सख्त और कड़े एक्शन लेने के लिए जाना जाता था। उन्होंने प्रदेश के कई बड़े क्रिमिनल केस की गुत्थी सुलझाने में बड़ा काम किया था। इस कारण पुलिस महकमे में लोग उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहकर भी बुलाते थे।