नई दिल्ली। दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को अत्यंत खराब श्रेणी में दर्ज की गई, लेकिन इसमें वायु की गति बढ़ने के पूर्वानुमान के कारण आगामी दो दिन में सुधार होने की उम्मीद है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अधिकारियों ने बताया कि हवा की गति धीमी होने की वजह से स्थानीय जनित प्रदूषक तत्वों का जमाव होने के कारण वायु गुणवत्ता शनिवार को गंभीर हो गई थी।
शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह नौ बजे 394 रहा, जबकि शनिवार को औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 404 दर्ज किया गया। एक्यूआई शुक्रवार को 382, बृहस्पतिवार को 341, बुधवार को 373, मंगलवार को 367, सोमवार को 318 और रविवार को 268 था।
पड़ोसी शहरों गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 430, ग्रेटर नोएडा में 404 और नोएडा में 404 दर्ज किया गया जो कि गंभीर श्रेणी में आता है।
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच सामान्य, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच अत्यंत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर श्रेणी में माना जाता है।
आईएमडी के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि हवा की गति धीमी बनी हुई है, जो स्थानीय जनित प्रदूषक तत्वों के जमने में मददगार है।
उन्होंने कहा, पूर्व दिशा से आ रही हवाओं में नमी है जिससे प्रदूषक तत्वों का दूसरा स्तर भी बन रहा है। इन सभी कारकों की वजह से वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई।
आईएमडी ने बताया कि रविवार को अधिकतम आठ किलोमीटर प्रति घंटे और सोमवार को 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने का अनुमान है।
मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में शनिवार को न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और रविवार को अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। ठंडी हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक तत्व धरातल के निकट बने रहते हैं जबकि अनुकूल तेज हवाएं इन्हें अपने साथ उड़ा ले जाती हैं।
मौसम संबंधी पूर्वानुमान जताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर के विशेषज्ञ महेश पलावत ने कहा कि दिल्ली के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में पिछले कुछ दिन में बढ़ोतरी हुई है जिसका कारण पूर्व दिशा से आ रही हल्की, गर्म हवा और आसमान साफ होने के कारण दिन में पर्याप्त धूप हो सकती है।
उन्होंने कहा कि ताजा पश्चिमी विक्षोभ के कारण जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में मध्यम से भारी बर्फबारी हो सकती है।
पलावत ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव समाप्त होने के बाद बर्फ से ढके पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों से मैदानों की ओर बर्फीली हवा बहने से तापमान में गिरावट आएगी। (भाषा)