नई दिल्ली। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय से देखी जा रही प्रवृत्ति से पता चलता है कि दिल्ली में प्रदूषण पर अंकुश लगा है और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 का वार्षिक स्तर हर साल गिर रहा है।
'कैपिटल गेन्स- क्लीन एयर एक्शन इन दिल्ली-एनसीआर : व्हाट नेक्स्ट' शीर्षक की इस रिपोर्ट में एक रूपरेखा दी गई है कि राष्ट्रीय राजधानी और एनसीआर को क्षेत्र में वायु प्रदूषण कम करने के लिए क्या करना चाहिए। इसमें उठाए जाने वाले कदमों में खेती के तरीके में बदलाव से लेकर कम पराली जलाने की बात की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014-15 से अब तक 3 साल का औसत कम हुआ है। हालांकि इस गिरावट के बावजूद दिल्ली को वायु गुणवत्ता के मानकों पर खरा उतरने के लिए पीएम2.5 में सालाना 60 प्रतिशत से अधिक की कटौती करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक क्षेत्र में गैस, तेल और पेट्रोलियम कोक पर प्रतिबंध के बाद कोयले के स्थान पर भी स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
इसमें कहा गया है कि दिल्ली ने सबसे महत्वाकांक्षी स्वच्छ ईंधन नीति लागू की, लेकिन अगर एनसीआर के औद्योगिक क्षेत्र में अब भी कोयला जलता रहा तो हवा स्वच्छ नहीं हो सकती। इसमें कहा गया है कि कोयला आधारित थर्मल ऊर्जा संयंत्रों के लिए 2015 के उत्सर्जन मानकों को 2022 तक समयबद्ध रूप से पूरा करना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली ने डीजल ट्रकों का प्रवेश बंद करने को लेकर अच्छा काम किया है। इसमें कहा गया है कि एनसीआर के शहरों को भी भारी यातायात कम करने के लिए अच्छी तरह सोची-समझी एक रणनीति तैयार करने की जरूरत होगी। वाहनों के प्रदूषण पर उसने कहा कि सरकार को प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) केंद्रों की समय-समय पर जांच मजबूत करनी चाहिए। (भाषा)