चमोली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को बद्रीनाथ मंदिर में देश के कल्याण के लिए पूजा-अर्चना की। उन्होंने मंदिर के कपाट खुलने पर यहां दर्शन किए जो सर्दियों में छह महीने बंद रहता है।
परंपरागत मंत्रोच्चार और शंख की ध्वनि के बीच आज तड़के बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले गए। पद्मासन स्वरूप में भगवान विष्णु के दर्शन पाने के लिए कंपकंपाती सर्दी में रात भर तीर्थयात्री इंतजार करते रहे।
राष्ट्रपति मुखर्जी सुबह करीब पौने नौ बजे उत्तराखंड के राज्यपाल के के पॉल और मुख्य सचिव त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ यहां पहुंचे। मुखर्जी के लिए यहां एक पालकी को तैयार रखा गया था लेकिन उन्होंने सर्दी और उंचाई के बावजूद पैदल ही मंदिर तक जाने को तरजीह दी।
राष्ट्रपति ने मंदिर के गर्भगृह में मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदिरी द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देश के कल्याण के लिए प्रार्थना की। सातवीं सदी के प्रसिद्ध हिंदू मंदिर को आज गेंदे के फूलों से सजाया गया था।
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की विधिवत् शुरुआत हो गई। शेष तीनों मंदिरों के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। इस मौके पर गढ़वाल रेंज के आयुक्त समेत प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। आपातकालीन सेवाओं के बंदोबस्त के साथ गोपेश्वर जिला अस्पताल के डॉक्टरों का एक दल भी उपस्थित रहा।
मंदिर में करीब 45 मिनट तक रहने के बाद जब राष्ट्रपति मुखर्जी बाहर निकले तो उपस्थित लोगों ने अभिवादन किया। मुखर्जी ने अलकनंदा नदी के ऊपर से पुल पार करते हुए हाथ हिलाकर जनता के अभिवादन का जवाब दिया।
राष्ट्रपति की दो दिवसीय उत्तराखंड यात्रा शुक्रवार को देहरादून से शुरू हुई। जहां उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। वह रात देहरादून में राजभवन में ठहरे थे और आज सुबह वहां से बद्रीनाथ के लिए रवाना हुए। (भाषा)
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