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किसी भी 'दुस्साहस' को विफल करने के लिए भारत पूरी तरह तैयार : राष्ट्रपति

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, सोमवार, 25 जनवरी 2021 (20:15 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल लद्दाख में चीनी सेना की कार्रवाई को उसकी विस्तारवादी गतिविधि करार दिया और कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन भारतीय सुरक्षाबल किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं। उन्होंने 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, प्रत्‍येक परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए हम पूरी तरह सक्षम हैं।


उन्होंने कहा, पिछले साल, कई मोर्चों पर अनेक चुनौतियां हमारे सामने आईं। हमें अपनी सीमाओं पर विस्तारवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ा। लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने उन्हें नाकाम कर दिया। इस घटना में बलिदान देने वाले भारतीय जवानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देशवासी उन अमर जवानों के प्रति कृतज्ञ हैं।

उन्होंने कहा, हालांकि हम शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अटल हैं, फिर भी हमारी थल सेना, वायु सेना और नौसेना, हमारी सुरक्षा के विरुद्ध किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सुदृढ़ और सिद्धान्त-परक रवैए के विषय में अंतरराष्ट्रीय समुदाय भलीभांति अवगत है। ज्ञात हो कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गत नौ महीने से गतिरोध जारी है।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, आरम्भ में इन सुधारों के विषय में आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। परंतु इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है। कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बंधुता के संवैधानिक आदर्श के बल पर ही इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका।

उन्होंने गर्व के साथ कहा कि अनेक देशों के लोगों की पीड़ा को कम करने और महामारी पर काबू पाने के लिए दवाएं तथा स्वास्थ्य-सेवा के अन्य उपकरण विश्व के कोने-कोने में उपलब्ध कराने के लिए भारत को आज फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की लगभग एक वर्ष की अप्रत्याशित अग्नि-परीक्षा के बावजूद भारत हताश नहीं हुआ बल्कि आत्मविश्वास से भरपूर होकर उभरा है।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों से कोई न कोई सीख मिलती है और उनका सामना करने से शक्ति व आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि इसी आत्मविश्वास के साथ भारत ने कई क्षेत्रों में बड़े कदम उठाए हैं और पूरी गति से आगे बढ़ रहे हमारे आर्थिक सुधारों के पूरक के रूप में नए क़ानून बनाकर कृषि और श्रम के क्षेत्रों में ऐसे सुधार किए गए हैं, जो लम्बे समय से अपेक्षित थे।

उन्होंने कहा, आरम्भ में इन सुधारों के विषय में आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं। परंतु इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है। कोविंद ने कहा कि भारत प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए विश्व समुदाय में अपना समुचित स्थान बना रहा है।

उन्होंने कहा, पिछले कुछ वर्षों में भारत का प्रभाव-क्षेत्र और अधिक विस्तृत हुआ है तथा इसमें विश्व के व्यापक क्षेत्र शामिल हुए हैं। जिस असाधारण समर्थन के साथ इस वर्ष भारत ने अस्थाई सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में प्रवेश किया है, वह इस बढ़ते प्रभाव का सूचक है।

उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर राजनेताओं के साथ भारत के सम्बन्धों की गहराई कई गुना बढ़ी है और अपने जीवंत लोकतन्त्र के बल पर उसने एक जिम्मेदार और विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में अपनी साख बढ़ाई है। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में किसानों का जिक्र करते हुए कहा कि इतनी विशाल आबादी वाले देश को खाद्यान्न एवं डेयरी उत्पादों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश उनका कृतज्ञ है।

उन्होंने कहा कि विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोविड-19 की आपदा के बावजूद किसानों ने कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने कहा, यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार परिश्रमी किसान देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सफल रहे हैं, उसी तरह सेनाओं के बहादुर जवान कठोरतम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की सुरक्षा करते रहे हैं।

उन्होंने कहा, लद्दाख में स्थित, सियाचिन व गलवान घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में (धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में) हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं। हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।

वैज्ञानिक समुदाय के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्य सुरक्षा, सैन्य सुरक्षा, आपदाओं तथा बीमारी से सुरक्षा एवं विकास के विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने अपने योगदान से राष्ट्रीय प्रयासों को शक्ति दी। उन्होंने कहा, अन्तरिक्ष से लेकर खेत-खलिहानों तक, शिक्षण संस्थानों से लेकर अस्पतालों तक, वैज्ञानिक समुदाय ने हमारे जीवन और कामकाज को बेहतर बनाया है। दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोनावायरस को डी-कोड करके तथा बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी पर काबू पाने तथा विकसित देशों की तुलना में मृत्यु दर को सीमित रख पाने में भी देश के वैज्ञानिकों ने डॉक्टरों, प्रशासन तथा अन्य लोगों के साथ मिलकर अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहा, आज भारत को सही अर्थों में ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जा रहा है क्योंकि हम अनेक देशों के लोगों की पीड़ा को कम करने और महामारी पर क़ाबू पाने के लिए दवाएं तथा स्वास्थ्य-सेवा के अन्य उपकरण, विश्व के कोने-कोने में उपलब्ध कराते रहे हैं। अब हम वैक्सीन भी अन्य देशों को उपलब्ध करा रहे हैं।

कोरोना के मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के योगदान को असाधारण करार देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां जब इस दौर का इतिहास जानेंगी तो इस आकस्मिक संकट का जिस साहस के साथ इन योद्धाओं ने मुकाबला किया तो उनके प्रति वे श्रद्धा से नतमस्तक हो जाएंगी। उन्होंने देशवासियों से कोरोना टीकाकरण अभियान में भागीदारी करने का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के लिए अन-लॉकिंग की प्रक्रिया को सावधानी के साथ और चरणबद्ध तरीके से लागू करना कारगर सिद्ध हुआ तथा अर्थव्यवस्था में फिर से मजबूती के संकेत दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने कहा, हाल ही में दर्ज की गई जीएसटी की रिकॉर्ड वृद्धि और विदेशी निवेश के लिए आकर्षक अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का उभरना, तेजी से हो रही हमारी अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर लौटने के सूचक हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आपदा को अवसर में बदलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का आह्वान किया जिसको कि देशवासी ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है।

उन्होंने कहा, यह अभियान हमारे उन राष्ट्रीय संकल्पों को पूरा करने में भी सहायक होगा, जिन्हें हमने नए भारत की परिकल्पना के तहत देश की आजादी के 75वें वर्ष तक हासिल करने का लक्ष्य रखा है। हर परिवार को बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्का मकान दिलाने से लेकर, किसानों की आय को दोगुना करने तक, ऐसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों की तरफ बढ़ते हुए हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक पड़ाव तक पहुंचेंगे। नए भारत के समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषाहार, वंचित वर्गों के उत्थान और महिलाओं के कल्याण पर विशेष बल दे रहे हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विचारों को याद करते हुए हुए कोविंद ने कहा कि हर सम्भव प्रयास करना है कि समाज का एक भी सदस्य दुखी या अभावग्रस्त न रह जाए। समता को भारतीय गणतंत्र के महान यज्ञ का बीज मंत्र बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक समता का आदर्श प्रत्‍येक व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करता है, जिसमें ग्रामवासी, महिलाएं, अनुसूचित जाति व जनजाति सहित अपेक्षाकृत कमजोर वर्गों के लोग, दिव्यांगजन और वयोवृद्ध, सभी शामिल हैं।

उन्होंने कहा, आर्थिक समता का आदर्श, सभी के लिए अवसर की समानता और पीछे रह गए लोगों की सहायता सुनिश्चित करने के हमारे संवैधानिक दायित्व को स्पष्ट करता है। सहानुभूति की भावना परोपकार के कार्यों से ही और अधिक मजबूत होती है। आपसी भाईचारे का नैतिक आदर्श ही, हमारे पथ प्रदर्शक के रूप में हमारी भावी सामूहिक यात्रा का मार्ग प्रशस्त करेगा।(भाषा)

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