नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए गरीबी के अभिशाप को जल्दी से जल्दी मिटाने, समाज में भेदभाव दूर करने और संपन्न लोगों से वंचितों के हक में सब्सिडी जैसी सुविधाओं को त्यागने का आह्वान किया है।
राष्ट्रपति ने 69वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आज राष्ट्र के नाम संबोधन में इसके साथ ही सभी नागरिकों के बीच बराबरी, समाज में भाईचारे को मजबूत करने तथा विभिन्न संस्थाओं को सिद्धांतों तथा मूल्यों के आधार पर चलाने पर जोर दिया। उन्होंने सभी के लिए उत्तम शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, लड़कियों को हर क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने तथा अंधविश्वास एवं असमानता को दूर करने के लिए हरसंभव उपायों की जरूरत बताई।
कोविंद ने देश की आजादी और गणतंत्र के निर्माण में लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का स्मरण करते हुए कहा कि देश को संवारने और समाज की विसंगतियों को दूर करने के लिए जिस तरह से उस समय प्रयास किए गए थे, आज फिर वैसे ही प्रयासों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ हासिल किया है, परंतु अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। हमारे लोकतंत्र का निर्माण करने वाली पीढ़ी ने जिस भावना के साथ काम किया था, आज फिर उसी भावना के साथ काम करने की जरूरत है।
कोविंद ने कहा कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना सभी का सपना है। एक बेहतर भारत के निर्माण के लिए सभी को प्रयास करने हैं और ऐसा भारत बनाना है जो अपनी योग्यता के अनुरूप 21वीं सदी में विकास की नई ऊंचाइयों पर खड़ा होगा और जहां हर नागरिक अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग कर सकेगा।
गरीबी के अभिशाप को कम से कम समय में जड़ से मिटाने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज भी बहुत से देशवासी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। वे गरीबी में किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। उन सभी को सम्मान देते हुए उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना और विकास के अवसर निरंतर प्रदान करना भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है और उसकी सफलता की कसौटी भी।
कोविंद ने कहा कि गरीबी को समाप्त करने, सभी के लिए उत्तम शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा बेटियों को हर क्षेत्र में समान अवसर दिलाने के लिए सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसे आधुनिक भारत की रचना करनी है, जो प्रतिभावान लोगों का और उनकी प्रतिभा के उपयोग के लिए असीम अवसरों वाला देश हो।
संपन्न लोग सब्सिडी छोड़ें : संपन्न लोगों से सब्सिडी जैसी सुविधाएं छोड़ने का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी सुविधाओं का लाभ जरूरतमंद परिवारों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने आबादी के वंचित हिस्से का जिक्र करते हुए कहा कि हम अपने ही जैसी पृष्ठभूमि से आने वाले उन वंचित देशवासियों की ओर देखें, जो आज भी वहीं के वहीं खड़े हैं, जहां से कभी हम सबने अपनी यात्रा शुरू की थी। हम सभी अपने-अपने मन में झांकें और खुद से यह सवाल करें कि क्या उसकी जरूरत, मेरी जरूरत से ज्यादा बड़ी है?
सुननी होगी बेटियों की पुकार : राष्ट्रपति कोविंद ने लड़कियों को हर क्षेत्र में समान अवसर दिलाने की सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए कहा है कि इस संबंध में नीतियां तभी कारगर सिद्ध हो सकती हैं जब परिवार और समाज बेटियों की आवाज सुनेंगे।
उन्होंने लड़कियों को हर क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जहां बेटियों को बेटों की ही तरह शिक्षा, स्वास्थ्य और आगे बढ़ने की सुविधाएं दी जाती हैं ऐसे समान अवसरों वाले परिवार और समाज ही एक खुशहाल राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकार कानून लागू कर सकती है, नीतियां बना सकती है, लेकिन ये तभी कारगर साबित होंगे जब परिवार और समाज हमारी बेटियों की आवाज सुनेंगे। हमें परिवर्तन की इस पुकार को सुनना ही होगा।
अभी बहुत कुछ करना बाकी : राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता प्राप्ति और पहले गणतंत्र दिवस के बीच के दौर की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यह दौर पूरी लगन, संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ देश को संवारने और समाज की विसंगतियों को दूर करने के लिए किए गए निरंतर प्रयासों का दौर था।
आज फिर हम एक ऐसे ही मुकाम पर खड़े हैं। एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ हासिल किया है परंतु अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। हमारे लोकतंत्र का निर्माण करने वाली पीढ़ी ने जिस भावना के साथ काम किया था आज फिर उसी भावना के साथ काम करने की जरूरत है।