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Independence Day 2022 : PM मोदी ने 2047 के लिए दिलवाए 5 संकल्प, परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर प्रहार, जानिए भाषण की 10 खास बातें

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, सोमवार, 15 अगस्त 2022 (10:22 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस एक ऐतिहासिक दिन है और यह एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है। पीएम मोदी के भाषण की 10 खास बातें-
 
1. पीएम मोदी के पांच संकल्प : प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 के लिए देशवासियों को पांच प्रण दिलवाए- विकसित भारत बनाना, दासता के किसी भी रूप को दूर करना, विरासत पर गर्व करना, एकता बनाए रखना और अपने कर्तव्यों को पूर्ण करना है।
 
2. नारी का सम्मान : पीएम मोदी ने आगे कहा कि, हम वो हैं जिसे जीव में भी शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं... ये हमारा सामर्थ्य है, जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी। किसी न किसी कारण से हमारे अंदर विकृति आई है। हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है।  
3. हर मोर्चे पर सुधार : अक्षय ऊर्जा से लेकर चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे तक, भारत ने हर मोर्चे पर सुधार किया है। मैं युवाओं से देश के विकास के लिए अपने जीवन के अगले 25 वर्ष समर्पित करने का आग्रह करता हूं, हम मानवता के पूर्ण विकास के लिए काम करेंगे। जब सपने बड़े हों तो कड़ी मेहनत जरूरी है, स्वतंत्र भारत का सपना देखने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिबद्धताओं, उनके संकल्प से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
 
4. भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई : प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद तथा परिवारवाद को देश के सामने दो बड़ी चुनौती करार देते हुए सोमवार को कहा कि यह स्थिति अच्छी नहीं है और इनके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती - भ्रष्टाचार, दूसरी चुनौती - भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है। ये स्थिति अच्छी नहीं है। हमें इनके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा।
 
5. नल से जल पहुंचाने का संकल्प : प्रधानमंत्री ने कहा कि हर संकल्प में सिद्धि होती है और यही वजह है कि 2019 में उन्होंने लालकिले की इसी प्राचीर से देश के हर घर को नल से जल पहुंचाने का जो संकल्प लिया था वह तेजी से आगे बढ़ रहा है और उन्हें पूरा विश्वास है कि 2024 के निर्धारित लक्ष्य तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लाखों परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराने का काम संकल्प से ही संभव हो पाया है। यदि संकल्प लेकर चल पड़ें तो लक्ष्य स्वतः ही मिल जाता है और ऐसे ही संकल्प का फल है कि देश में हर घर में नल से जल पहुंच रहा है।
 
6. आदिवासी समुदाय को नहीं भूल सकते : प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हम आदिवासी समुदाय को नहीं भूल सकते। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरु- ऐसे असंख्य नाम हैं जो स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बने और आदिवासी समुदाय को मातृभूमि के लिए जीने और मरने के लिए प्रेरित किया।
 
7. आत्मनिर्भर बने आंदोलन : मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया के लिये विनिर्माण कर सकता है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पर जोर देते हुए इसे जनआंदोलन के रूप में आगे बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत विनिर्माण के क्षेत्र में इतिहास बना रहा है। अंतरिक्ष से लेकर ड्रोन विनिर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ‘उत्पादन आधारित प्रोत्साहन’ (पीएलआई) योजना से हम दुनिया में विनिर्माण के प्रमुख केंद्र बन रहे हैं। लोग ‘मेक इन इंडिया’ के लिए भारत आ रहे हैं।’’
 
8. लैंगिंग समानता पर जोर : अखंड भारत के महत्व का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के पास एकता की अवधारणा पर दुनिया को सिखाने के लिए काफी कुछ है और एकता की यह अवधारणा परिवार की संरचना से शुरू होती है। उन्होंने कहा कि हमें भारत की विविधता का जश्न मनाना चाहिए...घर पर भी, एकता के बीज तभी बोए जाते हैं जब बेटे और बेटी समान हों। अगर ऐसा नहीं होता तो एकता का मंत्र गूंज नहीं सकता। लैंगिक समानता एकता का अहम मानदंड है। 
 
9. काले धन पर लगाम : प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा, पिछले आठ वर्ष में आधार, डीबीटी, मोबाइल का इस्तेमाल दो लाख करोड़ रुपये के काले धन का पता लगाने के लिए किया गया। 
 
10. मंथन के बाद बनी नई शिक्षा नीति : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति...मंथन के साथ बनी है, कोटि कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है। भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है।’’ उन्होंने कहा कि इसमें हमने कौशल्य पर बल दिया है, यह ऐसा सामर्थ्य है जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा। उन्होंने कहा कि कभी-कभी हमारी प्रतिभाएं भाषा के बंधनों में बंध जाती हैं, ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है।

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