नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर फिदायीन आतंकवादी हमले के बाद बालाकोट में हवाई कार्रवाई का सबूत मांगने वालों को जवाब देते हुए कहा कि सबसे बड़ा सबूत पाकिस्तान ने स्वयं ट्वीट करके दुनिया को दिया था।
मोदी ने एबीपी न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना की हवाई कार्रवाई का सबूत मांगे जाने से संबंधित पूछे गए सवाल पर कहा कि सबसे बड़ा सबूत पाकिस्तान ने स्वयं ट्वीट करके दिया है दुनिया को। हमने तो कोई दावा नहीं किया था। हम तो अपना काम करके चुप बैठे थे। पाकिस्तान ने कहा कि आए हमको मारा फिर उन्हीं के लोगों ने वहां से बयान दिया। इस सारे में कितने मरे, कितने नहीं मरे, मरे कि नहीं मरे, ये जिसको विवाद करना है करते रहें।
उन्होंने कहा कि अगर हमने सेना पर कुछ किया होता या नागरिकों पर कुछ किया होता तो पाकिस्तान दुनियाभर में चिल्लाकर भारत को बदनाम कर देता, तो हमारी रणनीति ये थी कि हम गैर सैनिक एक्टिविटी करेंगे और जनता का कोई नुकसान ना हो इसका ध्यान रखेंगे। ये पहला हमारा मूलभूत सिद्धांत था और हम टार्गेट आंतकवाद को ही करेंगे। एयरफोर्स ने जो करना था, बहुत ही सफलतापूर्वक किया।
पुलवामा हमले के वक्त उनके शूटिंग करने के विवाद पर मोदी ने कहा कि पुलवामा की घटना मुझे पहले से पता थी क्या? मेरा तो रुटीन कार्यक्रम था उत्तराखंड में, कुछ चीजें ऐसे होती हैं जिसका हैंडल करने का तरीका होता है।
मोदी ने चीन के साथ संबंधों पर कहा कि इस बात में सच्चाई है कि कुछ मुद्दों पर चीन और भारत के बीच ‘मतभेद’ हैं, लेकिन हमने यह निर्णय भी किया है कि हम मतभेदों को तकरारों में बदलने की अनुमति नहीं देंगे।
प्रधानमंत्री ने 26 फरवरी की भारतीय वायुसेना की कार्रवाई को लेकर भारत के विपक्ष दलों द्वारा मांगे गए सबूत पर कहा कि सबसे बड़ा सबूत पाकिस्तान की तरफ से ही आया। हमने कुछ भी दावा नहीं किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के लिए भारत की इस कार्रवाई को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा था क्योंकि ऐसा करने पर उसे यह भी मानना होता कि उन जगहों पर ‘आतंकवाद संबंधित’ गतिविधियां जारी थीं।
उन्होंने कहा कि भारत में कुछ लोग ऐसी भाषा में बात कर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान खुश हो सकता है। यह वास्तव में चिंता की बात है। मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दो संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि यह उनकी पार्टी का फैसला है, लेकिन यहां पर ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेठी से उम्मीदवार होने के बावजूद उन्हें वायनाड जाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि हमने इस पर चर्चा शुरू नहीं की है, इसे मीडिया ने शुरू किया है। हर कोई कह रहा है कि ऐसा हो सकता है कि अमेठी में उन्हें कड़ी चुनौती मिलेगी इसलिए उन्हें वहां जाना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने गांधी के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि कोई भी दो सीटों से लड़ने के अधिकार पर सवाल नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में बहस की बात यह है कि अमेठी से उनको भागना क्यों पड़ा, राजनीतिक दृष्टिकोण से इस बात पर बहस करना भाजपा के अधिकार क्षेत्र में है।