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अपनी सीट महिलाओं के लिए छोड़ ट्रेन में फर्श पर सोए थे मोदी

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, शुक्रवार, 3 जून 2016 (16:52 IST)
केंद्र सरकार के दो वर्ष पूरे हो गए हैं और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र की कहानियां सुर्खियों में हैं। ऐसी ही एक लेख सामने आया है जिसमें एक रेल यात्रा का जिक्र है। यह लेख एक समाचार पत्र में छपा है। 
इस कहानी में नरेन्द्र मोदी और शंकरसिंह वाघेला की करीब 26 साल पहले की एक ‘रेल यात्रा’ का जिक्र है जिसमें इन दो नेताओं ने अपने विनम्र स्वभाव से दो अजनबी महिलाओं पर ऐसी गहरी छाप छोड़ी कि वे आज भी इस ट्रेन यात्रा को नहीं भूलती हैं। 
 
भयावह रात की कहानी : इंडियन रेलवे (ट्रैफिक) सर्विस की वरिष्ठ अधिकारी लीना शर्मा ने एक अंग्रेजी समाचार पत्र में लिखे अपने लेख में 90 की दशक की अहमदाबाद यात्रा का जिक्र किया है। लीना ने लिखा कि मैं और मेरी दोस्त ट्रेन से लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे। दो सांसद भी उसी बोगी में यात्रा कर रहे थे। तभी हमारे साथ यात्रा कर रहे 12 लोगों ने अपने खौफनाक व्यवहार से हमें हमारी सीट से उठने पर मजबूर कर दिया और हम पर अश्लील कमेंट करने लगे। किसी ने हमारी मदद नहीं की। ऐसा लग रहा था कि सभी यात्री गायब से हो गए हैं। यह एक भयावह रात थी हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें?  
 
बदली ट्रेन : अगली सुबह हम दिल्ली पहुंचे, तोमेरी दोस्त ने निर्णय कर लिया था कि वह अब अहमदाबाद नहीं जाएगी और दिल्ली ही रहेगी, लेकिन मैं और मेरी एक अन्य बैचमेट रात को अहमदाबाद की ट्रेन में सवार हो गए। हमारे पास इतना समय नहीं था कि हम टिकट खरीद सके। हम फर्स्ट क्लास बोगी के टीटी से मिले और उसे अपनी परेशानी बताई। टीटी हमें एक कूपे की तरफ ले गया जहां सफेद खादी कुर्ता-पायजामा पहने दो नेता बैठे थे। टीटीई ने हमें कहा कि डरने की बात नहीं है। ये अच्छे लोग हैं और इस रूट के नियमित पैंसेजर हैं। 
 
अनजाने नेताओं ने की मदद : उन्होंने अपना परिचय गुजरात के दो भाजपा नेताओं के रूप में दिया। हमने भी उन्हें अपने बारे में बताया कि हम असम से रेलवे के दो प्रशिक्षु अधिकारी हैं। उन दोनों नेताओं में वाघेला काफी जोशीले स्वभाव के थे जबकि नरेंद्र मोदी ज्यादातर चुप थे। बातचीत का सिलसिला चला तो इतिहास से लेकर राजनीति जैसे मुद्दों पर बात हुई। 
 
तभी डिनर आ गया, तो भोजन के बाद मोदी ने सभी का बिल चुकता किया। फिर टीटी आया और कहा कि ट्रेन में सीट नहीं हैं। इस पर दोनों आदमी (मोदी और वाघेला) अपनी सीट से खड़े हो गए कहा कोई बात नहीं हम आपके लिए व्यवस्था कर देते हैं। दोनों ने अपनी सीट हमें दे दी और खुद ट्रेन के फर्श पर अपनी चादर बिछाकर सो गए। 
 
पता नहीं था बनेंगे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री : लीना लिखती हैं कि कैसा विपरीत उदाहरण था पिछली रात दो नेताओं के साथ हमारी यात्रा कितनी भयावह रही था जबकि यह यात्रा यादगार हो गई थी। अगली सुबह जब ट्रेन अहमदाबाद पहुंची तो दोनों ने हमसे किसी भी परेशानी के लिए मदद करने का आश्वासन दिया।
 
दूसरे व्यक्ति (मोदी) ने हमसे कहा, मेरे पास कोई पक्का घर तो है नहीं कि मैं आपको आमंत्रित कर सकूं, लेकिन आप उनका (वाघेला) आमंत्रण स्वीकार कर सकती हैं। फिर मैंने अपनी डायरी निकाली और तुरंत दोनों का नाम लिखा- शंकर सिंह वाघेला और नरेंद्र मोदी। उस वक्त लीना को इस बात का आभास नहीं था कि ये दोनों राजनेता आने वाले दिनों में मशहूर हो जाएंगे। वाघेला 1996 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने जबकि मोदी 2001 से लगातार 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री बने और आज वो देश के प्रधानमंत्री हैं।

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