प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ANI को दिए इंटरव्यू में सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी सुनाई। मोदी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक में मुझे कामयाबी से ज्यादा चिंता अपने सेना के जवानों की थी। मोदी ने कहा कि यह जोखिम भरा था। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने जवानों से कहा था कि मिशन में सफलता मिले या असफलता, सूर्योदय से पहले वापस लौट आना।
पीएम मोदी ने कहा कि जवानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की तारीख दो बार बदली गई थी। उड़ी हमले में जवानों को जिंदा जलाए जाने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई गई थी। मेरे और सेना के जवानों के भीतर ही भीतर एक गुस्सा पनप रहा था। मैंने जवानों को भेजे संदेश में कहा था कि मिशन की कामयाबी या नाकामी के बारे में मत सोचना। किसी भी प्रलोभन में मत आना और इसे जारी मत रखना। सूर्योदय के पहले वापस लौट आना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा जोर केवल इस बात पर था कि इस ऑपरेशन के दौरान हमारा एक भी जवान शहीद न हो। मैं जानता था कि इसमें बड़ा खतरा है। मैंने कभी अपने लिए किसी राजनीतिक खतरे की परवाह नहीं की। मेरी सबसे बड़ी चिंता केवल जवानों की सुरक्षा थी। मैं नहीं चाहता था कि उन कमांडोज को कोई भी नुकसान पहुंचे, जो हमारे कहे शब्दों के लिए अपना जीवन न्योछावर करने को तैयार हैं।
मुश्किल भरा था वह एक घंटा : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब तक हमारे जवान सीमा की दूसरी तरफ थे, मैं परेशान था। सुबह के समय करीब एक घंटे तक सूचनाएं मिलनी बंद हो गई थीं, यह समय बेहद मुश्किल था। इसके बाद मुझे बताया गया कि वे अभी वापस नहीं लौटे हैं, हालांकि एक-दो यूनिट सुरक्षित स्थानों तक पहुंच गई हैं इसलिए परेशान न हों। मैंने कहा कि मैं तब तक निश्चिंत नहीं हो सकता, जब तक हमारा अंतिम जवान वापस न लौट आए। सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान मुझे अपनी सेना की नई शक्ति का नया परिचय मिला।