Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Video : PM मोदी ने बच्चों को सुनाई गुजरात वाली कहानी, क्यों चीतों को लेकर आए नामीबिया से?

हमें फॉलो करें Video : PM मोदी ने बच्चों को सुनाई गुजरात वाली कहानी, क्यों चीतों को लेकर आए नामीबिया से?
, रविवार, 18 सितम्बर 2022 (00:27 IST)
श्योपुर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में शनिवार को नामीबिया से लाए गए चीतों को विशेष बाड़ों में छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीता मित्रों से बातचीत की। उन्होंने चीता मित्रों से इंसान और पशु के बीच के टकराव को रोककर चीतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा।

चीता मित्र लगभग 400 युवाओं का समूह है, जिन्हें चीतों के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। चीता मित्रों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक चीते अपने नए बसेरे के अभ्यस्त नहीं हो जाते जब तक वे उनके (मोदी) सहित किसी को भी केएनपी के अंदर नहीं जाने दें।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए गिर में एशियाई शेरों की रक्षा की लिए गांव वालों को शामिल किया था। नामीबिया से शनिवार सुबह विशेष विमान से आठ चीते भारत पहुंचे। उनमें से तीन को मोदी ने और बाकी पांच को अन्य नेताओं ने केएनपी के बाड़ों में छोड़ा। सात दशक पहले भारत में चीते विलुप्त हो चुके हैं इसलिए भारत में बसाने के लिए प्रोजेक्ट चीता के तहत चीते यहां लाए गए हैं।

मोदी ने कहा, आपको बताया गया होगा कि थोड़े दिन तक चीते देखने के लिए आना नहीं है। उनको (चीते) सेटल होने देना है। फिर वह बड़ी जगह पर जाएगा, फिर वहां सेटल होने देना है, लेकिन नेता लोग आ जाएंगे, नेता लोगों के रिश्तेदार आ जाएंगे। टीवी कैमरे वाले भी आ जाएंगे। आप पर दबाव डालेंगे। ये सब अफसरों पर दबाव डालेंगे।

उन्होंने कहा, ये आपका काम है कि किसी को घुसने (पार्क में) मत दो, मैं भी आऊं तो मुझे भी घुसने मत दो। मेरे नाम से मेरा कोई रिश्तेदार आ जाए तो भी नहीं। प्रधानमंत्री और चीता मित्रों की बातचीत का वीडियो आधिकारिक सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराया गया।

प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों को लोगों को यह बताने के लिए कहा कि केएनपी में प्रवेश की अनुमति केवल चीतों के जंगल में अभ्यस्त होने के बाद ही दी जाएगी। उन्होंने कहा, शायद दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा है कि 130 करोड़ लोग चीतों के आने पर खुशियां मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए 75 साल तक इंतजार करना पड़ा है।

बातचीत की शुरुआत करते हुए मोदी ने चीता मित्रों से सवाल किया कि वे चीतों की सुरक्षा कैसे करेंगे? इस पर उन्होंने जवाब दिया, अगर चीता जंगल से निकलकर गांव की तरफ जाता है तो हमें उसे बचाना है। इस पर प्रधानमंत्री ने तुरंत पूछा कि पशु को इंसान से खतरा है या इंसान को पशु से खतरा है? इस पर स्वयं सेवकों ने कहा कि चीतों को लोगों से बचाना होगा।

प्रधानमंत्री ने सवाल किया, आपको मेहनत कहां करनी है? पशु को समझाने में करनी है कि इंसान को समझाने में करनी है? तो स्वयं सेवकों ने कहा कि गांवों में जाकर लोगों को समझना है, चीते के बारे में बताना है।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि जब वे अपने गृह राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गिर में शेरों की आबादी घटकर 300 के आसपास होने पर, कैसे उन्होंने गांव की बेटियों को आगे कर एशियाई शेरों की रक्षा की थी।

उन्होंने कहा, मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री बनके गया तो वहां गिर में एशियाटिक लायन की संख्या 300 के आसपास थी और लगातार घट रही थी। तब मैंने सोचा कि सरकार सोचे कि वह शेर को बचा सकती है तो यह गलत है अगर शेरों को कोई बचाएगा तो गांव वाले ही बचाएंगे।

मोदी ने कहा, हमने वहां लड़कियों सहित 300 वन्यजीव मित्र बनाए और बाद में उनसे से बड़ी संख्या में वनरक्षक नियुक्त किए और ग्रामीणों को शामिल करने का निर्णय सफल साबित हुआ। प्रधानमंत्री ने उन्हें सलाह दी कि वे न केवल चीतों की बल्कि अन्य वन्यजीवों की भी अपने मोबाइल फोन से तस्वीरें खींचकर फोटोग्राफी का शौक विकसित करें।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लद्दाख में मिली जीत से गदगद कांग्रेस, जयराम रमेश बोले- गुलाम नबी आजाद के लिए खास खबर