नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के आरोप में दक्षिण भारतीय अभिनेत्री प्रिया प्रकाश वारियर के खिलाफ विभिन्न स्थानों पर दायर आपराधिक मुकदमे शुक्रवार को निरस्त कर दिए।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने तेलंगाना और महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों पर दायर मुकदमों को निरस्त करने संबंधी अभिनेत्री प्रिया प्रकाश की याचिका स्वीकार कर ली।
न्यायालय ने प्रिया, मलयाली फिल्म 'ओरु अदार लव' के निदेशक उमर अब्दुल वहाब के खिलाफ दर्ज मुकदमे निरस्त करने का आदेश देते हुए कहा कि फिल्म में आंख मारने के दृश्य से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए के प्रावधानों का कतई उल्लंघन नहीं होता है।
न्यायालय ने कहा कि इससे संबंधित किसी भी आपराधिक मुकदमे की सुनवाई नहीं की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने एक सरकारी वकील पर टिप्पणी की कि किसी व्यक्ति ने फिल्म में एक गाना गाया और आपके पास मुकदमा दर्ज करने के अलावा कोई और काम नहीं है।
फिल्म का गाना 'माणिक्य मलारया पूवी' के रिलीज होने के साथ ही हैदराबाद में एक याचिका दायर की गई थी और इसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। मुंबई के एक संगठन ने भी इसे लेकर मुकदमा दर्ज कराया था। अंतत: फिल्म की अभिनेत्री और निर्माता-निर्देशक को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। (वार्ता)