तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के कानूनी वारिस और उनकी वसीयत मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग से पूछा था। अदालत ने जयललिता से जुड़े संपत्ति कर के एक पुराने मामले में दायर अपील पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया था। इस मामले की सुनवाई आज होगी।
खबरों के मुताबिक, मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर को आयकर विभाग से पूछा था कि क्या तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता का कोई कानूनी वारिस है और क्या उन्होंने कोई वसीयत छोड़ी थी। कोर्ट ने जयललिता से जुड़े 20 साल से ज्यादा पुराने संपत्ति कर के एक मामले में दायर अपील पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया था। अदालत ने कहा, कानून में तय है कि अदालत किसी मृत व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही आगे नहीं बढ़ा सकती, ऐसे में जयललिता का कोई कानूनी वारिस है तो डिपार्टमेंट के वकील उसे रिकॉर्ड पर सामने लाएं।
अगर जयललिता की संपत्ति की बात करें तो दो टोयोटा प्राडो एसयूवी, एक टैंपो ट्रैवलर, टैंपो ट्रैक्स, एक महिंद्रा जीप, 1980 मॉडल की एंबेसडर कार, एक महिंद्रा बोलेरो, स्वराज माजदा मैक्सी और 1990 मॉडल की कंटेसा कार हैं। इन नौ गाड़ियों का बाजार मूल्य तकरीबन 42,25,000 रुपए है। तकरीबन 22 किलोग्राम सोना, जिसे कर्नाटक सरकार के राजस्व विभाग ने जब्त कर लिया था। आय से अधिक संपत्ति रखने के तहत जब्त किए आभूषणों का यह मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।
2016 चुनाव के लिए आरके नगर विधानसभा क्षेत्र में दायर हलफनामे के मुताबिक, जयललिता की 41.63 करोड़ रुपए की चल और 72.09 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है। जयललिता ने पांच कंपनियों में बतौर 'पार्टनर' इन्वेस्टमेंट किया था, जो कि 27,44 करोड़ रुपए है। इनमें श्री जय पब्लिकेशन, सासी इंटरप्राइसेस, कोडानाड एस्टेट, रॉयल वैली फ्लोरीटेक और ग्रीन टी एस्टेट शामिल हैं। आखिरी घोषणापत्र के मुताबिक, जयललिता के पास 41,000 रुपए नकदी थी। उनके ऊपर 2.04 करोड़ रुपए का लोन भी था। उन्होंने ये लोन इंडियन बैंक से लिया था।