मालेगांव। कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद अब पूरे महाराष्ट्र में फैल गया है। महाराष्ट्र में मुस्लिम महिलाएं भी हिजाब को लेकर ज्यादा आक्रामक हो गई हैं। पुणे और मालेगांव में भी पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और रैलियां की गईं। मालेगांव में धारा 144 लागू कर दी गई है।
कर्नाटक के एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर शुरुआती धूम मचा दी। देखते ही देखते कर्नाटक से यह मामला महाराष्ट्र तक जा पहुंचा। राज्य की राजनीति गरमा गई है। देशभर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कोई इसे दमन कहता है, तो कोई इसे धर्म कहता है।
मालेगांव के कल्लू स्टेडियम में हजारों की संख्या में मुस्लिम महिलाएं हिजाब के पक्ष में जमा हुईं। मालेगांव में मुस्लिम महिला आंदोलन, नगर में राकांपा का आंदोलन। आंदोलन के दौरान इन महिलाओं के हाथों में तख्तियों ने भी सबका ध्यान खींचा।
'महिलाओं के चरणों में जन्नत' कह कर महिलाओं को संस्कृति के संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई। इन महिलाओं का कहना है कि सुरक्षित जीवन के लिए परदा या घूंघट का कोई मोल नहीं। इन महिलाओं ने इस बात पर भी जोर दिया है कि शरीर को पूरी तरह से ढंकना जरूरी है। वहीं नगर में एनसीपी युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिजाब के विरोधियों का विरोध करते हुए जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया।
मुस्लिम धर्मशास्त्र के अनुसार, लड़कियों और महिलाओं के लिए हिजाब आवश्यक है। मुस्लिम छात्राएं हिजाब और बुर्के के अंदर स्कूल की यूनिफॉर्म पहनती है इसलिए हिजाब का विरोध करना गलत है। प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ जोरदार नारे भी लगाए।
पुणे और सोलापुर में आंदोलन : मालेगांव प्रदर्शन का असर सोलापुर में महसूस किया जा रहा है। राजनीतिक दलों द्वारा हिजाब बैन के खिलाफ आंदोलन शुरू है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से लेबर नेता नरसया आदम के नेतृत्व में जिला कलेक्टर कार्यालय पर मोर्चा निकाला गया।
हिजाब के नाम पर मुस्लिम छात्रों के साथ अन्याय करने वाली कर्नाटक सरकार का कड़ा विरोध हुआ। पुणे में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टीने कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कर्नाटक की भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन गंज पेठ के फुले वाडा में हुआ। पारंपरिक पोशाक में मुस्लिम महिलाओं सहित अन्य महिलाओं ने भी भाग लिया।
मालेगांव में 'हिजाब डे' : मालेगांव में आज हिजाब दिवस मनाया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने आज के हिजाब डे की इजाजत देने से इनकार कर दिया। इससे पहले कल भी मालेगांव में जमीयत उलेमा-ए-हिंद नाम के संगठन ने हिजाब के समर्थन में भीड़ जुटाई थी।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा है कि दूसरे राज्यों के मुद्दों पर आंदोलन करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने राजनीतिक दलों से भी अपील की कि वे किसी को भड़काएं नहीं और शांति बनाए रखने में पुलिस का सहयोग करें।
इधर AIMIM के स्थानीय विधायक मौलाना मुफ्ती इस्लाइल को नियमों का उल्लंघन करने और प्रदर्शन स्थल पर जाकर भाषण देने पर नोटिस जारी किया गया है। मालेगांव में हुए प्रदर्शन के आयोजन में विधायक भी शामिल हैं।
क्या बोले NCP विधायक रोहित पवार : राकांपा विधायक रोहित पवार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उठाया गया था। विधायक पवार ने 'कौन किस तरह की पोशाख पहनता है इसके बजाय देश कहां जा रहा है' इस बारे में बात करने की जरूरत है।
विधायक पवार ने कहा, कोरोना काल के दौरान पैदा हुए स्किलगॅप, ड्रॉप आउट दर में वृद्धि, किशोर अपराध, इस समय को पहचानकर आवश्यक कौशल विकास कार्यक्रम, ऑनलाइन शिक्षा के परिणामों पर विचार करने की आवश्यकता है। लेकिन आज हम किसमें फंस गए हैं? यह संदेहास्पद है कि किसी राज्य में चुनाव में कुछ मुद्दों को जानबूझकर उठाया जाता है। इससे कुछ पार्टियों को फायदा होता है लेकिन इससे एक पीढ़ी का भविष्य बर्बाद हो जाएगा, सभी को यह समझने की जरूरत है।