जम्मू। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर बनिहाल के पास पुलवामा 2.0 दोहराने की नाकाम आतंकी कोशिश क्या किसी बड़ी वारदात की रिहर्सल थी? अगर अधिकारियों पर विश्वास करें इन चर्चाओं में सच्चाई है। वे दावा करते हैं कि आतंकी चुनावों के दौरान कुछ ऐसा करने की ताक में हैं जिससे सारा देश एक बार फिर दहल उठे।
हालांकि अधिकारी इसके प्रति भी चिंता प्रकट करते थे कि राजमार्ग से गुजरने वाले काफिलों के बारे में सूचनाएं लीक हो रही हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में जुटे आतंकी सुरक्षा व्यवस्थाओं के लूप होलों का लाभ उठाना चाहते हैं।
वैसे दो दिन पहले बनिहाल में हुआ कार बम विस्फोट ठीक उसी प्रकार का था जैसा कि इसी राजमार्ग पर 2011 में उधमपुर के पास हुआ था जिसमें सेना का एक वरिष्ठ अधिकारी तो बच गया था, लेकिन दो नागरिक मारे गए थे। यह एक कड़वी सच्चाई है कि राजमार्ग पर होने वाले कार बम विस्फोटों से कभी भी सुरक्षाबलों द्वारा कोई सीख नहीं ली गई है।
अगर ऐसा होता तो परसों हुए कार विस्फोट के मामले में कार केरिपुब के काफिले के इतने करीब कैसे पहुंच गई फिर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। पुलवामा में हुए हमले के बाद जो एसओपी लागू की गई थी, उसके तहत किसी भी वाहन को काफिलों की आवाजाही के दौरान राजमार्ग पर जाने की इजाजत नहीं है।
हालांकि एक रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार आतंकियों का इस कार विस्फोट का उदेश्य सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाना नहीं था बल्कि ऐसा लगता है कि वे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की रिहर्सल करते हुए सुरक्षा व्यवस्थाओं में लूप होलों की तलाश में हैं।
एक जानकारी के मुताबिक आतंकी ऐसे कार विस्फोटों का इस्तेमाल चुनावों के दौरान भी कर सकते हैं। खासकर राष्ट्रीय नेताओं की रैलियों के दौरान। याद रहे उधमपुर तथा सुंदरबनी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैलियां भी होनी हैं और ये रैलियां आतंकी निशाने पर हैं।
हालांकि अब नए निर्देशों के बाद यही फैसला किया गया है कि केरिपुब के काफिले में किसी भी सूरत में 50 से अधिक वाहन नहीं होंगे तथा प्रत्येक काफिले को एसपी रैंक के अधिकारी की देखरेख में रवाना किया जाएगा पर यह फैसला आतंकी इरादों से कैसे सुरक्षा कर पाएगा जो पहले भी लूप होलों का लाभ उठाते हुए सुरक्षाबलों को क्षति पहुंचाने में कामयाब रहे हैं।