Rahul Gandhi sarcasm on Narendra Modi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर फिर 'आत्मसमर्पण' वाला कटाक्ष दोहराया, जिस पर हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने नाराजगी जताई थी। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने यह बात बिहार में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में कही। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने मोदी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने झुकने का आरोप लगाया था।
ट्रंप ने कम से कम 11 बार कहा : गांधी ने नालंदा जिले के राजगीर में कहा कि ट्रंप ने कम से कम 11 बार कहा है कि उन्होंने मोदी को मजबूर किया है। हमारे प्रधानमंत्री विरोध में एक शब्द भी नहीं कह पा रहे। कारण यह है कि ट्रंप ने जो कहा है, वही हकीकत है। उल्लेखनीय है कि गांधी ने इस सप्ताह की शुरुआत में भोपाल में दावा किया था कि पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के चरम पर होने पर ट्रंप ने मोदी से कहा था- 'नरेन्द्र, सरेंडर'।
इस टिप्पणी से भाजपा नाराज हो गई थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने इसे 'देशद्रोह' कहा था। प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया था कि यह बयान हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों द्वारा भारत के बारे में कही गई बातों से कहीं अधिक अपमानजनक है।
मैं आरएसएस से लड़ रहा हूं : राजगीर में अपने संबोधन में हालांकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मैं आरएसएस से लड़ रहा हूं और वे बहुत आसानी से आत्मसमर्पण कर देते हैं। उन्हें दया याचिका लिखने में ज्यादा समय नहीं लगता। बेशक, आधुनिक तकनीक ने पेन और कागज की जगह व्हाट्सऐप को जन्म दे दिया है।
उनका यह इशारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक विनायक दामोदर सावरकर द्वारा ब्रिटिश राज को लिखी गई क्षमादान याचिका की ओर था, जब वह अंडमान की सेलुलर जेल में बंद थे। कांग्रेस नेता ने कहा कि कथित तौर पर आत्मसमर्पण की प्रवृत्ति तब भी काम कर रही थी जब संघ के पूर्व प्रचारक मोदी ने जातीय गणना की मांग के आगे घुटने टेक दिए थे।
मैंने कहा था- हम मोदी को मजबूर करेंगे : गांधी ने दावा किया कि मैंने संसद में मोदी की आंखों में आंखें डालकर कहा था कि हम उनकी सरकार को जातीय गणना कराने के लिए मजबूर करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा लेकिन वास्तविक जातीय गणना की अनुमति नहीं देगी क्योंकि इससे उनकी राजनीति खत्म हो जाएगी। गांधी ने दावा किया कि देखिए कि मोदी खुद को ओबीसी कैसे कहते हैं और यह भी दावा करते हैं कि कोई जाति नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि जातीय गणना के दो मॉडल हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि एक तो भाजपा का (मॉडल) है, जिसमें सब कुछ नौकरशाहों द्वारा बंद दरवाजों के पीछे तय किया जाता है, जिनमें वंचित जातियों से शायद ही कोई होगा। दूसरा मॉडल (कांग्रेस शासित) तेलंगाना का है, जहां दलित संगठनों और नेताओं को शामिल किया जाता है और सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोग अस्पृश्यता जैसी चीजों के बारे में अपने अनुभव खुलकर बताते हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra singh Jhala