Rahul Gandhi News in hindi : लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट आने के बाद अब बैठकों का दौर शुरू हो चु्का है। भाजपा अकेले दम पर बहुमत से दूर रह गई है। अब बिना सहयोगी दलों के वह सरकार नहीं बना सकती। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) केंद्र में किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं। नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वे राजनीति में किसी के 'सगे' नहीं हैं। कभी भी पाला बदल सकते हैं।
INDIA ब्लॉक की बात करें तो 234 का आंकड़ा उसके लिए संजीवनी की तरह है। कुछ समय पहले के राजनीतिक परिदृश्य पर एक नजर डालते हैं, जब INDIA गठबंधन का जन्म हो रहा था। इसके सूत्रधार थे जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, जो आज एनडीए के पाले में हैं। नीतीश और तेजस्वी बड़े दलों के प्रमुखों के द्वार पर जाकर गठबंधन को मूर्त रूप दे रहे थे। ऐसा लगा कि पूरा विपक्ष एक साथ खड़ा होकर नरेन्द्र मोदी को चुनौती देगा।
राहुल के रवैए थे नाराज : INDIA गठबंधन की पहली बैठक भी पटना में हुई। मीडिया में खबरें आईं कि INDIA गठबंधन के संयोजक पद को लेकर नीतीश नाराज हो गए और पाला बदलकर एनडीए के साथ हो गए। नीतीश राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के व्यवहार को लेकर भी नाराज थे। बैठकों में कई मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी। INDIA गठबंधन के फैसले भी राहुल गांधी ले रहे थे। इससे नीतीश गठबंधन में अपना महत्व कम नजर आने लगा था। इसलिए उन्होंने गठबंधन को बाय-बाय कर दिया और बिहार में भी राजद से नाता तोड़ दिया।
विधानसभा चुनावों से बदला परिदृश्य : इंडिया गठबंधन की दो-तीन दौर की बैठक के बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव सामने आ गए। इनमें कांग्रेस ने किसी भी दल को साथ नहीं लिया। मध्यप्रदेश में अखिलेश यादव ने पेशकश भी की, लेकिन ठुकरा दिया गया। सपा अकेले मैदान में उतरी। कांग्रेस को यह लगा कि इन तीन राज्यों के चुनावों में उसे किसी की जरूरत नहीं है। वह अकेले के दम पर सरकार बना सकती है। अगर उसके पक्ष में नतीजे आते हैं तो इंडिया गठबंधन में उसका वर्चस्व बढ़ जाएगा और वह फैसले ले सकेगी।
हालांकि नीतीश की सीटों को भी जोड़ लिया तो भी इंडिया गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाता। एक बात जरूर तय है कि यदि बिहार में कांग्रेस और राजद के साथ नीतीश चुनाव लड़ते तो गठबंधन की सीटें बढ़ सकती थीं। ताजा घटनाक्रम में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने के कोई चांस नजर नहीं आ रहे हैं। वैसे अब राहुल गांधी को भी समझ आ गया होगा कि साथ चलने में ही उनकी और कांग्रेस की भलाई है। वेबदुनिया न्यूज डेस्क