प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार हमलावर रहने वाले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बड़ी मुश्किल में फंसते हुए दिख रहे है। राहुल गांधी को सूरत की जिला कोर्ट ने 2019 के एक मामले में दो साल की सज़ा सुनाई है। हलांकि सजा सुनाने के कुछ देर बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिनों का समय दिया है।
'मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे'-आज जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सूरत जिला कोर्ट ने सजा सुनाई तब राहुल खुद कोर्ट रूप में मौजूद था। कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर महात्मा गांधी के एक कोट को ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि “डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम,दंड,भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे। सच बोलते हुए जिये हैं,सच बोलते रहेंगे। देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। सच्चाई की ताकत व करोड़ों देशवासियों का प्यार उनके साथ है”।
क्या है पूरा मामला?-कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में आयोजित एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था कि "क्यों सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही होता है?" राहुल गांधी के इस विवादित बयान के खिलाफ गुजरात के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक पुरनेश मोदी ने सूरत कोर्ट में एक मानहानि याचिका दायर की थी। इस मामले में सूरज कोर्ट में चार साल तक सुनवाई हुई और आज कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। गौरतलब है कि इस पूरे मामले में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था। भारतीय दंड विधान की धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सज़ा का प्रावधान है।
राहुल की संसद सदस्यता पर मंडराया खतरा!- राहुल गांधी को हलांकि सूरत कोर्ट ने जमानत देते हुए ऊपरी कोर्ट में फैसले को लेकर याचिका लगाने की मोहलत दी है लेकिन अब आगे राहुल गांधी की राह इतनी आसान नहीं होने वाली है। राहुल को अगर उपरी कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो उनकी संसद सदस्यता भी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय कहते है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के मुताबिक दो साल या उससे ज्यादा सजा के मामले में सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द हो सकती है। इसके अलावा सजा काटने के छह साल के दौरान चुनाव लड़ने पर भी रोक का प्रावधान है। अगर ऊपरी अदालत दोषी करार दिए जाने पर रोक नहीं लगाती है तो संसद सदस्यता जा सकती है।
वहीं अश्विनी उपाध्याय यह भी कहते हैं कि अगर हाईकोर्ट दोषी करार देने पर ही रोक लगा दे तो राहुल की सदस्यता नहीं जाएगी। राहुल गांधी को अभी सूरत के सेशन कोर्ट में फैसले के खिलाफ जाना होगा फिर हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट का रूख कर सकते है।
फैसले पर आमने-सामने कांग्रेस और भाजपा-राहुल गांधी पर सूरत कोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर सियासत शुरु हो गई है। कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गए है। मध्यप्रदेश के कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा आज मोदी सरनेम कहने पर मानहानि हो जाती है जो दिखाता है कि आज देश के हालात चिंतनीय हो गए है। आज भारत के लोकतंत्र में पोस्टर पर केस दर्ज हो जाते है और मोदी सरनेम बोलने पर मानहानि।
वहीं चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में भाजपा राहुल गांधी पर खासी हमलावर नजर आ रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि सूरत कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। जिसमें कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी के एक वक्तव्य, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से लेकर और अन्य लोगों के लिए इस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग किया है, उसे न्यायालय ने उचित नहीं माना है और राहुल गांधी को दो साल की सजा दी है।
उन्होंने राहुल गांझी पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी ने देश में गांधी हत्यारे वाला बयान दिया फिर देश और समाज से माफी मांगी और ऐसे अनेक लगातार ऐसे बयान देश को बदनाम करने के लिए देते रहते हैं राहुल गांधी का हमेशा यह प्रयास रहता है कि दूसरे देशों में जाकर कैसे भारत का अपमान किया जा सकता है, जिन पर आज देश में राजनीतिक आद्यतन अपराधी की मोहर लगी है। वीडी शर्मा ने कहा कि यह मजाक नहीं कि इतने बड़े दल का नेता रोज झूठ और अनाप-शनाप बोलता है। बार-बार आगाह करने का बाद भी वहीं काम करते हैं, जो अपराध की श्रेणी में आता है। आज न्यायालय ने भी मोहर लगा दी है कि राहुल गांधी इस देश के एक गैरजिम्मेदार व्यक्ति हैं।