वायनाड (केरल)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी ने मनरेगा का मजाक उड़ाया था, लेकिन उन्हें यह तथ्य स्वीकार करना पड़ा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा लाई गई ग्रामीण रोजगार योजना ने कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी के दौरान देश के लोगों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
अपने निर्वाचन क्षेत्र वायनाड की पोठाडी ग्राम पंचायत में कुदुंबश्री संगमम का उद्घाटन करते हुए गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने गरीब लोगों के सशक्तिकरण के लिए काम किया और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा सबसे शक्तिशाली लोगों का सशक्तिकरण कर रही है।
कांग्रेस नेता ने चुनावी राज्य केरल में अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो दिवसीय दौरे की शुरुआत की। गांधी ने आरोप लगाया, जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने हम सबके सामने संसद में मनरेगा का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा था कि मनरेगा देश के लोगों का अपमान है।
गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री को देश में कोरोनावायरस संक्रमण के प्रसार के दौरान योजना के तहत कार्यों और धन का आवंटन बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, और वह (मोदी) कोविड-19 के दौरान यह स्वीकार करने के लिए मजबूर हो गए कि मनरेगा ने देश के लोगों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान मनरेगा में रोजगार की मांग बढ़ गई। वायनाड के सांसद ने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा लाई गई मनरेगा और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की शुरुआत न केवल भेंट है, बल्कि यह लोगों को मजबूत बनाने का जरिया भी है।
उन्होंने कहा कि जब मनरेगा की शुरुआत की गई तो एक वित्त वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 100 दिनों के लिए रोजगार देने की गारंटी प्रदान की गई।
गांधी ने कहा कि कई लोगों ने दावा किया था कि मनरेगा योजना लोगों को तबाह कर रही है, लेकिन जब सरकार बड़े कारोबारियों को लाखों करोड़ रुपए दे रही है और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण कर रही है तो वे लोग कुछ नहीं कह रहे। उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना को लागू करने से संप्रग शासन के दौरान शानदार आर्थिक वृद्धि हुई।(भाषा)