महाराष्ट्र में हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे के बीच अब राष्ट्रपति शासन लगने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन को लेकर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेज दी है और केंद्रीय कैबिनेट ने राज्यपाल की रिपोर्ट को मंजूर करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर दी है। अब राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से कभी भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश जारी हो सकता है।
वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के खिलाफ शिववसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका लगा दी गई है। ऐसे में महाराष्ट्र की सत्ता की लड़ाई अब महाराष्ट्र से निकलकर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई है।
वेबदुनिया ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने को लेकर देश के प्रमुख संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से खास बातचीत की। बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि उनकी नजर में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश एकदम ठीक है क्योंकि राज्यपाल ने सभी को सरकार बनाने का मौका दिया लेकिन जब कोई भी दल सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल ने केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी।
राष्ट्रपति शासन के अलावा भी था विकल्प : वेबदुनिया से बातचीत में देश के मशूहर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि उनकी नजर में राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के अलावा एक और संवैधानिक विकल्प भी उपलब्ध था कि वह सदन की बैठक बुलाकर सदन से पूछे कि बहुमत किसके साथ है।
दूसरे शब्दों में कहे कि सदन अपने नेता का चुनाव करके बताए जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर से उत्तर प्रदेश में हुआ था जब कल्याण सिंह और जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार हुए थे तब बैलेट बॉक्स रखकर वोटिंग हुई थी। सुभाष कश्यप कहते हैं कि राज्यपाल अनुच्छेद 175 के तहत विधानसभा को संदेश भेजकर यह तय कर सकते है कि विधानसभा का बहुमत किसी नेता के साथ है।