जम्मू। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार भारत की सीमाओं की शुचिता का कभी भी उल्लंघन नहीं होने देगी और मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत चल रही है।
सिंह ने यहां एक राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर लंबे समय से धारणा संबंधी मतभेद रहे हैं। सिंह ने कहा, मैं दोहराना चाहता हूं कि 2013 से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ गतिविधियां हुई हैं, लेकिन मैं इन दावों को सिरे से खारिज करता हूं कि हमारी सरकार बनने के बाद एलएसी पर कोई महत्वपूर्ण बदलाव या अतिक्रमण हुआ है।
वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए, मंत्री ने कहा कि चीनी सेना ने सहमत प्रोटोकॉल की अनदेखी की और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ एकतरफा बदलाव करने की कोशिश की। उन्होंने भारतीय सेना की वीरता और समर्पण की सराहना की, जिसने चीनी पीएलए के यथास्थिति बदलने के प्रयासों को विफल कर दिया और कहा कि देश बहादुर सैनिकों के बलिदान के लिए ऋणी रहेगा और गलवान में उनके साहसी पराक्रम को आने वाली पीढ़ियां गर्व के साथ याद करेंगी।
उन्होंने कहा, हमें दुख होता है जब सरकार को घेरने के लिए सैनिकों की बहादुरी पर सवाल उठाने की कोशिश की जाती है। देश के लोगों को अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ मुद्दों का शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत चल रही है। हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम भारत की सीमा, उसके सम्मान और स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करेंगे।
रक्षामंत्री ने कहा, हम अपनी सीमाओं की शुचिता का कभी भी उल्लंघन नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने चीन के साथ 1962 के युद्ध से सीखा है और सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती निवासी देश के लिए रणनीतिक परिसंपत्ति हैं और सरकार चाहती है कि लोग अग्रिम गांवों में बसें और लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक उनके लाभ के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा विकास कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, रोहतांग सुरंग (हिमाचल प्रदेश में लेह-मनाली राजमार्ग पर) का निर्माण हमारी सरकार द्वारा किया गया, जिसने 26 वर्षों से लंबित परियोजना को छह वर्षों में पूरा किया। यह अटल सुरंग प्रकृति में बहुत रणनीतिक है क्योंकि यह हमारे सैनिकों की (सालभर) आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) लद्दाख में सड़कों का निर्माण कर रहा है, जिससे सीमावर्ती निवासियों को भी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर सीमा बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
उन्होंने कहा, सुरक्षा के नजरिए से सीमा पर बुनियादी ढांचा जरूरी है। सीमावर्ती निवासी हमारी रणनीतिक परिसंपत्ति हैं और उनके हित हमारे लिए सर्वोपरि हैं। हम चाहते हैं कि लोग सीमावर्ती गांव में बसें, अपना घर बनाएं और वहीं रहें।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)