Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राज्यसभा ने इस तरह किया नए सभापति का स्वागत...

हमें फॉलो करें राज्यसभा ने इस तरह किया नए सभापति का स्वागत...
, शुक्रवार, 11 अगस्त 2017 (17:27 IST)
नई दिल्ली। राज्यसभा ने शुक्रवार को अपने नए सभापति एम. वेंकैया नायडू का अभिनंदन किया और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित विभिन्न नेताओं ने उनका स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि नायडू सदन की गरिमा नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
 
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ग्रामीण और आम पृष्ठभूमि से आने वाले वेंकैया नायडू का इस पद पर पहुंचना भारत के संविधान की गरिमा और देश के लोकतंत्र की परिपक्वता को प्रदर्शित करता है।
 
उन्होंने कहा कि नायडू देश के पहले ऐसे उपराष्‍ट्रपति बने हैं, जो स्‍वतंत्र भारत में पैदा हुए हैं। साथ ही वे शायद अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जो इतने सालों तक इसी परिसर में इन सबके बीच में पले-बढ़े हैं। वे शायद पहले ऐसे उपराष्‍ट्रपति हैं, जो इस सदन की हर बारीकी से परिचित हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि नायडू सार्वजनिक जीवन में जेपी आंदोलन की पैदाइश हैं। विद्यार्थी काल में जयप्रकाश नारायण के आह्वान को ले करके, शुचिता को ले करके सुशासन के लिए जो राष्‍ट्रव्‍यापी आंदोलन चला, आंध्रप्रदेश में एक विद्यार्थी नेता के रूप में उन्‍होंने अपने आपको झोंक दिया था। तब से लेकर विधानसभा या राज्‍यसभा हो, उन्‍होंने अपने व्‍यक्तित्‍व का भी विकास किया और कार्यक्षेत्र का भी विस्‍तार किया। आज उसकी बदौलत हम सबने उनको पसंद किया और इस पद के लिए एक गौरवपूर्ण जिम्‍मेदारी उनको दी। 
 
उन्होंने नायडू के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की कल्‍पना और उसकी योजना नायडू ने ही दी है। उन्होंने कहा कि कई वर्षों तक मुझे उनके साथ कार्य करने का सौभाग्‍य मिला है। गांव हो, गरीब हो, किसान हो, इन विषयों पर वे बहुत ही बारीकी से अध्‍ययन करते हुए हर समय अपने सुझाव देते रहे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि कैबिनेट में भी वे शहरी विकास मंत्री थे, लेकिन मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि कैबिनेट के अंदर चर्चाओं में वे जितना समय शहरी विषयों पर बात करते थे, उससे ज्‍यादा रुचि से वे ग्रामीण और किसानों के विषयों पर चर्चा करते थे। यह उनके दिल के करीब रहा और यह शायद उनके बचपन, उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण है। 
 
उन्होंने कहा कि उपराष्‍ट्रपति और इस सदन के सभापति के रूप में जब वे हम लोगों का मार्गदर्शन करेंगे, हमें दिशा देंगे, इसकी गरिमा को और ऊपर उठाने में उनका योगदान बहुत बड़ा होगा। 
 
इस मौके पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में न केवल गरीबों बल्कि मोतीलाल नेहरू जैसे संपन्न लोगों के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता जिन्होंने आजादी के लिए अपनी सारी संपन्नता का त्याग कर दिया था। 
 
आजाद ने कहा कि अमीरों एवं अन्य ने देश को एक ऐसा संविधान दिया जिसमें मामूली पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति भी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जैसे पदों तक पहुंच सकते हैं। सीताराम येचुरी एवं नायडू जैसे जमीनी लोगों का उच्च पदों पर आसीन होना लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि है। कई ऐसे लोग जो जमींदार या शिक्षित परिवारों से नहीं थे, वे अपने पेशों में उच्चतम स्तर तक पहुंचे।
 
मोदी ने नायडू की सराहना करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए सम्मान की बात है कि मामूली पृष्ठभूमि वाले लोग उच्चतम संवैधानिक पदों पर पहुंचे। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नायडू सदन के सारे सदस्यों की नजर में खरे उतरेंगे और छोटी से छोटी पार्टी को भी अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि शोर-शराबे में कोई विधेयक पारित नहीं होगा लेकिन इस संबंध में जिम्मेदारी सिर्फ आसन की ही नहीं होती है।
 
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि इस पद पर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोग ही होने चाहिए, क्योंकि वे देश की और लोगों की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन ने भी उनके सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं वहीं तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने उम्मीद जताई कि वे बेहतरीन अंपायर की भूमिका निभाएंगे।
 
जदयू के वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि नायडू छात्र आंदोलन से निकलकर आए और बाद में पार्टी संगठन, मंत्री आदि के बाद इस पद पर आसीन हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब उन पर नई जिम्मेदारी आई है और उम्मीद है कि आप दाएं, बाएं तथा बीच यानी सभी 3 कोणों के बीच सामंजस्य बनाए रखने में सफल होंगे।
 
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि करीब 40 साल से वे और नायडू एक-दूसरे को जानते हैं। अलग-अलग विचारधारा से जुड़े होने के कारण अक्सर दोनों आमने-सामने रहे। उन्होंने उम्मीद जताई कि नायडू इस आसन पर बैठकर न्याय करेंगे और संविधान की रक्षा करेंगे।
 
बसपा के सतीशचन्द्र मिश्रा ने कहा कि वे नायडू के प्रशंसक रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि 18 जुलाई को सदन में जो कुछ हुआ था, वैसा अब नहीं होगा और सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा। 18 जुलाई को बसपा प्रमुख मायावती को सदन में बोलने नहीं दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के सदस्यों के साथ ही मंत्रियों ने भी बसपा प्रमुख को भी बोलने से रोकने का प्रयास किया था। (भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

उत्तर कोरिया की चिंता में सेंसेक्स लुढ़का