नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भाजपा महासचिव राम माधव ने मंगलवार को कहा कि जिन नेताओं के दादा-दादी आपातकाल लगाने के लिए जिम्मेदार थे, वे यह कहकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं कि देश में 'लघु आपातकाल' जैसी स्थिति है।
दिल्ली भाजपा कार्यालय में डिजिटल 'युवा जनसंवाद' रैली को संबोधित करते हुए माधव ने कहा कि आपातकाल देश में कभी नहीं लौटेगा। उन्होंने कहा कि कई बुद्धिजीवी और नेता कह रहे हैं कि देश में 'लघु आपातकाल' जैसी स्थिति है, दरअसल ये वही लोग हैं जिनके दादा-दादी 1975 में आपातकाल लगाने के लिए जिम्मेदार थे।
भाजपा नेता ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि आपकी दादी ने आपातकाल लगाया। आपको पता नहीं होगा, क्योंकि तब आप 5-6 साल के रहे होंगे। उन्होंने कहा कि आरएसएस और जनसंघ समेत राष्ट्रवादी शक्तियों ने आपातकाल में नृशंस अत्याचार झेलते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जबर्दस्त विरोध किया।
माधव ने कहा कि आपातकाल इंदिरा गांधी की सत्तालोलुपता की वजह से लगाया गया और उस दौरान बहुत अत्याचार एवं दमन किया गया, प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई और मौलिक अधिकार कुचल दिए गए। उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा है, लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं है, आपातकाल कभी नहीं लौटेगा। इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी द्वारा आपातकाल के दौरान अत्याचार का आरोप लगाते हुए राम माधव ने कहा कि गांधी का आज कोई महत्व नहीं है, लेकिन बावजूद इसके सुबह उठकर सबसे पहले ट्वीट करते हैं।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। राहुल गांधी ट्विटर पर भाजपा सरकार की कोविड-19 की स्थिति और चीन के साथ सीमा पर तनाव से निपटने के तरीके को लेकर आलोचना करते रहे हैं।
माधव ने वामपंथियों पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा कि 1975 में आपातकाल के दौरान मानवाधिकार को क्रूरता से कुचला जा रहा था तब वामपंथी इंदिरा गांधी की प्रशंसा कर रहे थे और केवल आरएसएस सहित राष्ट्रवादी उनका कड़ाई से विरोध कर रहे थे।
माधव ने कहा कि जो इस समय मीडिया पर पाबंदी की बात कर रहे हैं, उन्हें यह भी जानना चाहिए कि आपातकाल के दौरान प्रेस की आजादी पर रोक लगा दी गई थी। उन्होंने कहा कि जो लोग मीडिया पर पाबंदियों की बात कर रहे हैं उन्हें जानना चाहिए कि आपातकाल के दौरान यहां तक कि संपादकीय भी लिखने की आजादी नहीं थी।
माधव ने कहा कि आपातकाल के दौरान (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों पर रोक लगाई गई थी और इनके सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। भाजपा महासचिव ने कहा कि आपातकाल के दौरान कई प्रमुख विपक्षी नेताओं के साथ करीब 1 लाख 30 हजार लोगों को जेल में डाल दिया गया और यहां तक कि न्यायपालिका की आजादी तक से समझौता किया गया। (भाषा)