लखनऊ। कहते हैं कुछ हासिल करने के लिए काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है ऐसा ही कुछ भाजपा द्वारा राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनाए गए रामनाथ कोविंद के साथ भी है। डेरापुर तहसील (वर्तमान में कानपुर देहात जिला) के परौंख गांव से निकलकर कानपुर शहर आए और यहां पर रहकर उन्होंने पढ़ाई की और यहीं से राजनीतिक जीवन की भी शुरुआत हुई। रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार घोषित करने के बाद मिठाई बांटकर जश्न मनाया गया। लेकिन कोविंदजी को मिठाई पसंद नहीं है।
जैसे-जैसे वक्त बदलता गया वैसे ही रामनाथ कोविंद के जीवन में बदलाव आता चला गया। एक वक्त वह भी आया जब वे भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार हो गए। चुनाव न जीत पाने के बावजूद भी भाजपा में उनके सम्मान में कोई कमी नहीं आई। रामनाथ कोविंद के साथ लंबे समय तक रहे उनके जनसंपर्क अधिकारी अशोक द्विवेदी का कहना है कि इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी रामनाथ बहुत ही सादा जीवन जीते हैं। उन्हें मिठाइयां पसंद नहीं हैं।
अशोक त्रिवेदी ने रामनाथ कोविंद के साथ लंबा समय बिताया है। वे कहते हैं कि कोविंद जी बहुत ही सुलझे और सज्जन लोगों में से एक हैं। वे उच्च पदों पर आसीन होने के बावजूद बहुत ही सादा जीवन जीते है। त्रिवेदी कहते हैं कि कोविंद जी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं। रामनाथ कोविंद की पसंद-नापसंद के बारे में उन्होंने बताया कि वह अंतर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं। उन्हें सादा भोजन पसंद है।
उन्होंने बताया कि बिहार जाने के बाद भी रामनाथ कोविंद जी से उनका संपर्क बना रहता है और वह समय समय पर कानपुर के कल्याणपुर स्थित दयानंद विहार में अपने घर पर भी आते-जाते रहते हैं और वहीं पर उनसे मुलाकात हो जाती है। मुलाकात के दौरान वे लोगों के हालचाल जरूर पूछते हैं।