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महिलाओं और युवाओं को मौका मिले-राष्ट्रपति कोविंद

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन

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, मंगलवार, 14 अगस्त 2018 (19:16 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए लोगों को गरीबी एवं असमानता से मुक्ति दिलाने, विकास के नए अवसर उपलब्ध कराने, महिलाओं की आजादी को व्यापक बनाने एवं उनके वास्ते सुरक्षित वातावरण तैयार करने तथा युवाओं की प्रतिभाओं को उभारने का आह्वान किया है।
 
 
कोविंद ने 72वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि यह आजादी पूर्वजों एवं सम्मानित स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम है।
 
उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है। साथ ही, उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं, जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे। देश का विकास करने तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के महत्वपूर्ण काम हम सबको करने हैं।
 
उन्होंने देश के विकास के लिए प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता सेनानी की तरह अपना योगदान करने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास होते रहने चाहिए जिससे देश के विकास के नए-नए अवसर प्राप्त हो सकें। उन्होंने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने में किसानों, सैनिकों, पुलिसकर्मियों और महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए इन सभी का विकास जरूरी है।
 
महिला आजादी : राष्ट्रपति ने समाज में महिलाओं की विशेष भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि कई मायनों में, महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है। यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतंत्रता में देखी जा सकती है। उन्हें अपने ढंग से जीने तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए।
 
कोविंद ने कहा कि वे (महिलाएं) अपनी क्षमता का इस्तेमाल चाहे घर की प्रगति में करें या फिर हमारे कार्यबल या उच्च शिक्षा-संस्थानों में, उन्हें अपने विकल्प चुनने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए। एक राष्ट्र और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के सभी अधिकार और क्षमताएं सुलभ हों।
 
उन्होंने कहा कि जब हम, महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों या स्टार्ट-अप के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं, करोड़ों घरों में रसोई गैस कनेक्श़न पहुंचाते हैं और इस प्रकार, महिलाओं का सशक्तीकरण करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
 
युवाओं का कौशल विकास : राष्ट्रपति ने नौजवानों को देश की आशाओं एवं आकांक्षाओं की बुनियाद बताते हुए कहा कि हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं।
 
उन्हें संगीत का सृजन करने से लेकर मोबाइल एप्स बनाने और खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रकार, जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
 
उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रत्येक भारतीय जो अपना काम निष्ठा एवं लगन से करता है, जो समाज को नैतिकतापूर्ण योगदान देता है- भले ही वह डॉक्टर हो, नर्स हो, शिक्षक हो, लोक सेवक हो, फैक्ट्री का मजदूर हो, व्यापारी हो, सभी अपने-अपने ढंग से स्वाधीनता के आदर्शों का पालन करते हैं। ये सभी नागरिक, जो अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वाह करते हैं, और अपना वचन निभाते हैं, वे भी स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन करते हैं।
 
लक्ष्य से भटकें नहीं : कोविंद ने अपने सम्बोधन में सबके लिए बिजली, खुले में शौच से मुक्ति, बेघरों को घर आदि जैसे कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए लोगों से यह भी अपील की कि वे न तो ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में उलझें और न ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें।
 
उन्होंने ग्राम स्वराज अभियान का लाभ सर्वाधिक गरीब और वंचित नागरिकों तक पहुंचाने की अपील करते हुए देश के उन 117 आकांक्षी जिलों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उत्थान की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारे सामने, सामाजिक और आर्थिक पिरामिड में सबसे नीचे रह गए देशवासियों के जीवन-स्तर को तेजी से सुधारने का अच्छा अवसर है।
 
राष्ट्रपति ने ग्राम स्वराज अभियान का कार्य केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। यह अभियान सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से चल रहा है। इन प्रयासों में, ऐसे नागरिक सक्रिय हैं, जो निर्बल वर्गों की कठिनाइयों को कम करने, उनकी तक़लीफ़ बांटने और समाज को कुछ देने के लिए सदैव तैयार रहते हैं।
 
उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा में दरिद्र-नारायण की सेवा को सबसे अच्छा काम कहा गया है। भगवान बुद्ध ने भी कहा था कि 'अभित्वरेत कल्याणे' अर्थात् कल्याणकारी काम, सदैव तत्परता से करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देशवासी समाज और देश के कल्याण के लिए तत्परता के साथ अपना योगदान देते रहेंगे।

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