हिसार। बरवाला के सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल सहित 14 दोषियों को विशेष अदालत ने हत्या के दूसरे मामले में भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रत्येक दोषी पर 2 लाख पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। कभी जूनियर इंजीनियर रहा रामपाल अब कैदी नंबर 1005 बनकर सजा काटेगा। उसे जेल में लघु उद्योग या बागवानी का भी काम मिल सकता है, इसके बदले उसे मेहनताना भी मिलेगा। रामपाल कभी साढ़े 12 एकड़ में बने सतलोक आश्रम में ऐशो-आराम से रहता था।
मंगलवार को इसी अदालत ने रामपाल सहित 15 लोगों को हत्या के एक मामले में आजीवन करावास की सजा सुनाई थी। मंगलवार को भादसं की जिन धाराओं के तहत सजा सुनाई गई थी। आज के मामले में भी उन धाराओं के तहत ही सजा सुनाई गई।
अदालत ने मंगलवार की तरह ही एफआईआर नंबर 430 मामले में भी दोषियों को सजा सुनाई। अदालत ने भादसं की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और एक-एक लाख रुपए का जुर्माना किया है। भादसं की धारा 120बी में आजीवन कारावास व एक-एक लाख रुपए जुर्माना और धारा 343 के तहत दो साल की कैद और पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना किया गया है। सभी सजाएं साथ चलेंगी।
आज जिन लोगों को सजा सुनाई गई उनमें 6 ऐसे हैं जिन्हें पहले मामले में भी सजा सुनाई गई थी। मंगलवार को एफआइआई नंबर 429 के मामले में सजा सुनाई गई थी। मंगलवार को विशेष अदालत के जज अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देसराज चालिया ने सजा सुनाई थी।
पहले मामले में रामपाल सहित 15 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। हरेक पर अलग-अलग 2 लाख और 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने हत्या के दो मामले में रामपाल सहित 23 लोगों को 11 अक्टूबर को दोषी करार दिया था।
स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को जब पहले मामले में रामपाल को सजा सुनाई तो उसने कहा था- परमात्मा ने जो किया है, वह ठीक है। यह देखकर बाकी 14 दोषियों ने रामपाल को फर्श पर लेटकर प्रणाम किया।