गांधीनगर। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष अजय त्यागी ने शुक्रवार को कहा कि हाल के दिनों में कई प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) के खराब प्रदर्शन के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था की सामान्य मंदी प्रमुख है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान आईपीओ का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। त्यागी ने यहां गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी यानी गिफ्ट सिटी में एक सेमिनार के इतर कहा कि पिछले साल सितंबर से ही हालात सही नहीं हैं। उसके बाद आईएल एंड एफएस कंपनी की ओर से बकाया भुगतान नहीं करने के मुद्दे ने ऋण बाजार की भावनाओं पर नकारात्मक असर डाला।
फिर आम चुनाव के परिणामों को लेकर एक तरह की चिंता का माहौल था, जिसका असर पड़ा, हालांकि वह अब समाप्त हो चुका है। पर इसके बाद वैश्विक मंदी और उसी हद तक भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी का प्रभाव बाजार पर है। इन्हीं कारणों से नए आईपीओ लाने के लिए कंपनियां इंतजार कर रही हैं। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि चीजें दूसरी छमाही में बेहतर होंगी।
उन्होंने कहा कि आईपीओ का खराब प्रदर्शन भी उन वजहों में से एक है जिसके चलते सेबी ने सरकार से सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम सार्वजनिक शेयर का हिस्सा बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने के उसके प्रस्ताव की फिर से पड़ताल करने को कहा है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से संबंधित नियमों में हाल में ढील दिए जाने से संबंधित क्षेत्र के लोग संतुष्ट हैं, पर इसके बाजवूद उनकी अधिक बिकवाली के लिए अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं जिनमें तिमाही आय में अपेक्षित वृद्धि का न होना और आर्थिक मंदी शामिल हैं।
त्यागी ने कहा कि सेबी भारतीय म्युचुअल फंड संघ के उस प्रस्ताव की अभी पड़ताल कर रहा है जिसमें म्युचुअल फंड को दबाव में पड़ी पूंजी संबंधी मामलों को सुलझाने के लिए ऋण संबंधी इंटर क्रेडिटर समझौते में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की गई है।