Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से हटाना ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षण’

Advertiesment
हमें फॉलो करें समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से हटाना ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षण’
, शनिवार, 13 मार्च 2021 (00:44 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में सीधे न्यायाधीश नियुक्त की गईं पहली महिला वकील न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा सहमति से समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से हटाना ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षण’ था क्योंकि उस वक्त अदालत कक्ष में भावनाओं का ज्वार बह चला था।
 
न्यायमूर्ति मल्होत्रा शनिवार को सेवानिवृत्त होने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब अधिक से अधिक महिलाएं वकालत करेंगी और उन्हें उनकी क्षमता के आधार पर जब न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया जाएगा, तब पीठ में महिलाओं का ज्यादा प्रतिनिधित्व होगा।
 
महिला न्यायाधीश ने कहा कि पीठ में जब लैंगिक विविधता होती है तो समाज को काफी फायदा होता है। न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने सबरीमाला मंदिर मामले में असहमति वाला फैसला लिखा था। इसके अलावा व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक ठहराने और उसे समाप्त करने वाली संविधान पीठ का भी वह हिस्सा रहीं।
 
इंदु से बेहतर किसी न्यायाधीश को नहीं जानता : प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने शुक्रवार को कहा कि वह न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा से बेहतर अन्य न्यायाधीश को नहीं जानते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा के कार्यकाल के अंतिम दिन यह टिप्पणी की। परंपरा के अनुसार सेवानिवृत्त होने वाले न्यायाधीश अपने कार्यकाल के अंतिम दिन प्रधान न्यायाधीश के साथ न्यायालय में बैठते हैं।
 
न्यायमूर्ति मल्होत्रा की प्रशंसा करते हुए कि न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि वह उनके न्यायिक कौशल के बारे में कुछ भी कहना नहीं चाहते हैं क्योंकि उनके फैसले ज्ञान, विवेक और दृढ़ता से भरे हुए रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल 3 साल से भी कम रहा है, लेकिन वह संतुष्टि की भावना के साथ जा रही हैं। 
 
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं उस भावना को समझ सकता हूं जो आखिरी दिन होती है। हम किसी अन्य दिन उनका भाषण सुनेंगे। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि वह सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीशों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होना पड़ता है।
 
वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति मल्होत्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें इस महान न्यायाधीश की कमी खलेगी। वरिष्ठ अधिवक्ताओं मुकुल रोहतगी, पीएस नरसिम्हा, वी मोहना और अन्य वकीलों ने न्यायमूर्ति मल्होत्रा की प्रशंसा की। न्यायमूर्ति मल्होत्रा 26 अप्रैल, 2018 को शीर्ष न्यायपालिका में एक न्यायाधीश के रूप में शामिल हुई थीं। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गंगा के लिए अनशनरत आत्मबोधानंद की सुध भी ले लीजिए मुख्‍यमंत्री जी