नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे से जुड़ा पूरा घटनाक्रम तारीखों में...
सितंबर मध्य। सरकार ने रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य और प्रमुख बैंकर नचिकेत मोर का कार्यकाल घटाया। मोर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से जुड़े थे।
10 अक्टूबर: सरकार ने पहले कभी इस्तेमाल नहीं की गई रिजर्व बैंक कानून की धारा 7 को लागू करते हुए अपने फैसले केंद्रीय बैंक को लागू करने के लिए दबाव बनाया। सरकार ने रिजर्व बैंक को 3 पत्र भेजे थे जिनमें दर्जनों मांगें थीं। रिजर्व बैंक ने इन पत्रों का जवाब 1 सप्ताह बाद दिया।
23 अक्टूबर: रिजर्व बैंक की करीब 8 घंटे की मैराथन बैठक के बाद भी ज्यादा मुद्दों पर नतीजा नहीं निकला।
26 अक्टूबर: रिजर्व बैंक ने डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सार्वजनिक रूप से केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का मुद्दा उठाया।
29 अक्टूबर। रिजर्व बैंक के एक अन्य डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने जमशेदपुर में अपने भाषण में स्पष्ट किया कि रिजर्व बैंक बैंकों का पूंजी स्तर नीचे लाने को तैयार नहीं है।
31 अक्टूबर: सरकार ने रिजर्व बैंक की स्वायत्तता की जरूरत बताते हुए कामकाज के बेहतर तरीके से संचालन पर जोर दिया।
3 नवंबर : आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने आचार्य के बाजार में हड़कंप के बयान के जवाब में शेयर बाजारों, रुपए और कच्चे तेल में आ रहे सुधार का जिक्र किया।
9 नवंबर : गर्ग ने कहा कि रिजर्व बैंक के लिए उचित आर्थिक पूंजी रूपरेखा पर विचार-विमर्श चल रहा है।
15 नवंबर : आरएसएस विचारक एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच टकराव अच्छी बात नहीं।
17 नवंबर : रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जरूरतमंद क्षेत्रों को नकदी का प्रवाह रोककर वृद्धि की राह में बाधा न खड़ी की जाए।
19 नवंबर : रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की 10 घंटे की मैराथन बैठक के बाद रिजर्व बैंक के आरक्षित पूंजी कोष पर समिति के गठन का फैसला।
5 दिसंबर : उर्जित पटेल ने रिजर्व बैंक और सरकार के बीच विवाद पर जवाब नहीं दिया।
10 दिसंबर : पटेल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। (भाषा)