आपने हिंदी फिल्मों में बदले यानी रिवेंज के कई सीन देखे होंगे। बहन से बलात्कार का बदला, पिता की हत्या का बदला या मां के साथ हुए अत्याचार का बदला।
कई तरह के बदले की भावनाओं से हिंदी सिनेमा का इतिहास भरा पड़ा है। लेकिन हाल ही में मध्यप्रदेश के रतलाम से जो बदले की कहानी सामने आ रही है, उसके बारे में सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी। और ये कोई फिल्म नहीं बल्की हकीकत है।
रतलाम जिले के छोटे से गांव रत्तागढ़ खेड़ा की यह सनसनीखेज बदले की कहानी है।
करीब एक साल पहले एक गैंगरेप के साथ बदले की इस कहानी की स्क्रिप्ट लिखी गई थी। गांव के दबंग भंवरलाल पाटीदार (54), लालसिंह खतीजा (35) और दिनेश (37) दोस्त थे। तीनों ने गांव के ही सुरेश लोढ़ा (32) की पत्नी के साथ गैंगरेप किया था। सुरेश ने मौके पर पहुंचकर पत्नी को बचाने की कोशिश की, लेकिन जब उसने विरोध किया तो तीनों दोस्तों ने उसे धमकी दी और उसे एफआईआर की धमकी देकर जान से खत्म कर देने की बात कही थी।
बलात्कार का शिकार हुई महिला का पति सुरेश उस वक्त तो तीनों की धमकी से डरकर भाग गया। उसने पुलिस को भी सूचना नहीं दी। लेकिन उसकी आंखों में दिन रात पत्नी से गैंगरेप का दृश्य घर कर गया। अपनी आंखों के सामने पत्नी की अस्मत लूटने की घटना को वो कैसे भूल सकता था।
उसने कसम खाई, ठीक हिंदी फिल्मों की तरह। प्रण किया कि किसी को नहीं छोड़ेगा। कई महीनों तक वो बदले की आग में जलता रहा। उसे इंतजार था कि आरोपी बेपरवाह हो जाए।
इसी दौरान उसने टीवी पर देखा कि नक्सली डेटोनेटर और जिलेटिन छड़ का उपयोग करके जवानों पर हमला करते हैं, जिससे शरीर के चीथड़े तक उड़ जाते हैं।
रतलाम जिले में डेटोनेटर और जिलेटिन आसानी से मिल जाते हैं। यहां कुएं बनाने से लेकर मछली मारने तक में इनका उपयोग होता है। सुरेश को इनका इस्तेमाल करना आता था। उसने पास के गांव सिमलावदा निवासी बद्री पाटीदार से बड़ी संख्या में जिलेटिन की छड़ें और डेटोनेटर खरीदे। सुरेश ने सबसे पहले भंवरलाल को विस्फोट से उड़ाने का प्रयास किया।
उसने खेत के ट्यूबवेल के स्टार्टर से डेटोनेटर और जिलेटिन को सेट कर दिया, लेकिन जिलेटिन की छड़ें कम थीं। इसी वजह से हल्का विस्फोट हुआ। भंवरलाल बच गया। पुलिस ने जांच की, लेकिन ज्यादा कुछ पता नहीं चला।
भंवरलाल की किस्मत अच्छी थी, वो बच गया, लेकिन करीब 6 महीने के बाद सुरेश ने लाला सिंह की रेकी शुरू की। लाला सिंह फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल पर जाता था। उसने भंवरलाल जैसा प्लान तैयार किया। इस बार उसने जिलेटिन की 14 छड़ें विस्फोट के लिए लगाईं। 4 जनवरी को वो खेत पर सिंचाई के लिए ट्यूबवेल का बटन दबाता है और धमाका होता है।
धमाके के साथ उसके चीथड़े उड़ जाते हैं। धमाका इतना तेज होता है कि उसकी आवाज आसपास एक किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है। लोग मौके पर पहुंचते हैं, तो उन्हें हर तरफ शरीर के अंग बिखरे पड़े मिलते हैं।
कैसे फीट किया डेटोनेटर?
खेतों में पानी देने वाली बिजली का अलग ही फीडर होता है। सुबह लाइट रहती है तो रात में नहीं रहती। यह बात सुरेश को पता थी। उसने लालसिंह खतीजा की रेकी की थी। उसे पता था कि वो भी ट्यूबवेल का स्टार्टर उठाता था। इसी वजह से सुरेश ने रात को बिजली जाने पर डेटोनेटर सेट कर दिया था।
पुलिस ने ऐसे किया खुलासा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के साथ साइबर टीम और FSL टीम को जांच में लगाया गया। घटना वाले दिन पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि गांव के भंवरलाल के साथ भी इस तरह की घटना हो चुकी है। इससे लगा कि यह हादसा नहीं, हत्या है।
पुलिस को यह भी पता लगा कि सुरेश लोढ़ा घटना के दिन से ही परिवार के साथ गायब है। बाद में पता चला कि वो सांवलिया जी दर्शन करने गया है। पुलिस ने 6 जनवरी को उसे मंदसौर से पकड़ा। पूछताछ में उसने सनसनीखेज वारदात को अंजाम देना कबूल किया।
सुरेश तीनों रेपिस्ट को उड़ाना चाहता था लेकिन भंवरलाल बच गया और सुरेश के पकडे जाने पर दिनेश बच गया। हालांकि भंवरलाल पाटीदार और दिनेश पर बलात्कार की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया।