वैष्णो देवी में जी का जंजाल बनी RFID कार्ड की व्यवस्था
बोर्ड को शक पुराने कार्ड पर भी यात्रा कर रहे श्रद्धालु
Vaishno devi news : कई सालों से वैष्णो देवी के दर्शनार्थ यात्रा दर्शन पर्ची का स्थान जिस आरएफआईडी कार्ड ने पिछले साल अगस्त महीने में ले लिया था वह जी का जंजाल बनने लगा है। दरअसल अक्सर सिस्टम भीड़ के आगे हांफने लगता है तो अब श्राइन बोर्ड को शक है कि कई यात्री एक ही कार्ड का बार बार इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस चालाकी को रोकने की खातिर एक जनवरी से अब कार्ड पर एक स्टिकर भी लगाने की घोषणा की गई है पर सिस्टम को हांफने से रोकने के लिए कुछ ठोस नहीं किया गया है।
श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग ने भी इसके प्रति शंका प्रकट करते हुए बताया है कि नववर्ष पर आरएफआईडी कार्ड पर एक स्टीकर लगाया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि कार्ड नया है या पुराना। हालांकि वे इसके प्रति कुछ नहीं बोलते थे कि ऐसा क्यों किया जा रहा है पर श्राइन बोर्ड के सूत्रों के बकौल यह देखा गया है कि कई श्रद्धालु यात्रा समाप्ति के उपरांत अपने आरएफआईडी कार्ड को वापस नहीं करते हैं और वे अपने सगे संबंधियों और दोस्तों को यह कार्ड दे देते हैं ताकि वे कार्ड बनाने की व्यवस्था में धक्के खाने से बच जाएं।
जानकारी के लिए इस वर्ष शुक्रवार तक 94.35 लाख श्रद्धालु मां के चरणों में हाजिरी लगा चुके हैं, जो पिछले साल के मुकाबले करीब तीन लाख ज्यादा है। और अगर अधिकारियों पर विश्वास करें तो आरएफआईडी कार्डों पर स्टिकर लगाने की नई व्यवस्था फिर से वैसी ही होगी जो दर्शन पर्ची की थी।
यह सच है कि गर्मियों में भीषण गर्मी तथा सर्दियों में भीषण सर्दी के बीच 2 से 4 घंटों तक लाइनों में खड़े होकर आरएफआईडी कार्ड पाना आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जी का जंजाल बन चुका है। पिछले कई दिनों से, जैसे जैसे आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है आरएफआईडी कार्ड पाने में आने वाली मुश्किलों के कारण श्रद्धालुओं में गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है।
कर्नाटक के बंगलौर से आने वाले एक श्रद्धालु नाम न छापने की शर्त पर कहते थे कि वे कई सालों से वैष्णो देवी के दर्शनार्थ आ रहे हैं और यह पहली बार है कि उन्हें इतनी परेशानी का सामना यात्रा शुरू करने से पहले ही करना पड़ रहा है। उनके साथ उनके परिवार के 15 सदस्य भी थे और नए नियमों के मुताबिक, आरएफआईडी कार्ड पाने की खातिर सभी को लाइन में लगना है ताकि कैमरों से उनकी फोटो खींच की आरएफआईडी कार्ड पर चिपकाई जा सके।
वे कहते थे कि पहले परिवार का एक आदमी लाइन में लग कर सभी के लिए पर्ची ले आता था पर अब छोटे बच्चों को भी भीषण सर्दी और गर्मी में लाइन में लगना पड़ रहा है। पहले कोई भी किसी के लिए यात्रा पर्ची ले सकता था पर अब ऐसा कर पाना नामुमकिन हो गया है। सभी को लाइन में लगना ही होगा। पर्ची लेने के लिए भी और दर्शन करने के लिए गुफा के बाहर भी।
दरअसल पिछले साल एक जनवरी को वैष्णो देवी के तीर्थस्थान पर भवन के पास भगदड़ में दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं की मौत के बाद गठित की गई समिति और आईआईएम अहमदाबाद की सहायता से जो संस्तुतियों की रिपोर्ट तैयार की गई उसमें लागू किए जाने वाली संस्तुतियों में सबसे बड़ी संस्तुति आरएफआईडी पंजीकरण था। हालांकि यह बात अलग है कि भगदड़ होने के कारणों को अभी तक उजागर नहीं किया गया है और न ही उसके लिए जिम्मेदार लोगों को कोई सजा दी गई है।
अब हालत यह है कि जैस जैसे भीड़ बढ़ती है आरएफआईडी कार्ड तैयार करने वाले कम्प्यूटर और स्टाफ हांफने लगते हैं। चार चार घंटों तक लाइन में लगने के कारण कई श्रद्धालुओं का मूड यात्रा के शुरू होने से पहले ही आफ हो जाता है।
श्राइन बोर्ड के मुताबिक, अभी 21 से 22 हजार से अधिक श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शनार्थ आ रहे हैं और श्राइन बोर्ड की इच्छा है कि आने वालों की संख्या नया रिकार्ड बनाए तो ऐसे में कार्ड और स्टिकर चिपकाने की व्यवस्था से श्रद्धालुओं को होने वाली तकलीफ से छुटकारा कैसे मिलेगा, कोई जवाब श्राइन बोर्ड द्वारा नहीं दिया जाता है।