कानपुर। उत्तरप्रदेश के कानपुर में उद्योगपति एवं रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी के आवास, ऑफिस, फॉर्म हाउस पर सीबीआई व ईडी की संयुक्त टीम ने 2 दिनों तक छापेमारी की जिसके बाद मंगलवार देर रात सीबीआई और ईडी की टीमें विक्रम कोठारी और उसके बेटे राहुल को दिल्ली ले गईं।
हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि टीम पहले उनको लखनऊ ले जाएगी और वहां पर उसके ठिकानों से जांच के बाद दिल्ली ले जाया जाएगा। सीबीआई टीम 3 गाड़ियों में विक्रम कोठारी के साथ उनके मामले से जुड़े कई जब्त दस्तावेज भी अपने साथ ले गई। डिप्टी डायरेक्टर पीके श्रीवास्तव की अगुवाई में सीबीआई की टीम और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम ने सोमवार के बाद मंगलवार को विक्रम कोठारी के तिलक नगर स्थित आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी की। दोनों टीमों ने उसके ठिकानों पर फिर दस्तावेज खंगाले और पूछताछ की।
दोपहर करीब 12 बजे कार्रवाई के मामले में टीम विक्रम कोठारी की पत्नी साधना कोठारी और बेटी व बेटे को लेकर कोटक महिंद्रा बैंक पहुंची। यहां पर खातों और लॉकर की पड़ताल के बाद टीम तीनों को लेकर बैंक ऑफ बडौदा गई। सीबीआई और ईडी ने विक्रम कोठारी, पत्नी साधना कोठारी और बेटा राहुल कोठारी के साथ बैंक अधिकारियों को भी आरोपी बनाया है।
टीम ने सभी की चल और अचल संपत्ति के कागजों की पड़ताल की। इसके बाद टीम विक्रम कोठारी को कंसोर्टियम में शामिल बैंकों में लेकर गई जिनमें बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स हैं।
बताया जा रहा है कि ईडी व सीबीआई ने बैंक ऑफ बडौदा की एफआईआर को आधार बनाते हुए केस दर्ज कर लिया है। इसके बाद देर रात सीबीआई और ईडी की टीमें विक्रम कोठारी और बेटे राहुल कोठारी को हिरासत में लेकर निकल गईं।
पत्नी से पूछताछ जारी : सीबीआई और ईडी की टीमों ने विक्रम और बेटे राहुल कोठारी को शहर से जरूर ले गई, पर एक टीम अभी भी उसकी पत्नी साधना कोठारी से पूछताछ कर रही है। सूत्रों का मानना है कि पत्नी से कुछ तथ्य जुटाने के लिए बुधवार को संबंधित बैंकों पर ले जाएगी। इसके बाद संभावना है कि बुधवार को साधना को भी दिल्ली ले जाया जाएगा। हालांकि अब तक जांच में क्या सामने आया है, यह तो पता नहीं चल पा रहा है, पर यह तय है कि कोठारी का बचना अब मुश्किल दिख रहा है। इसके साथ टीम उन बैंक अधिकारियों पर भी बराबर नजर बनाए हुए हैं जिनकी उदासीनता से यहां तक मामला पहुंचा है। अभी तक विक्रम कोठारी के कुल 27 बैंकों का कर्जदार होने की जानकारी सामने आ रही है।
बैंकों से लिया एडवांस : सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल के निदेशक पर काफी फर्जी दस्तावेजों के सहारे 616.69 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया है। इस साजिश में बैंक के भी अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। बताया गया कि विक्रम कोठारी ने दो तरीके से बैंकों को चूना लगाया था। पहला, उसने विदेश से आयात के लिए बैंकों से एडवांस में लोन लिया जबकि कंपनी विदेश से असलियत में कुछ आयात करती ही नहीं थी। इसके बाद में यह पैसा रोटोमैक कंपनी में वापस आ जाता था। दूसरी तरफ,निर्यात का ऑर्डर दिखाकर बैंकों से लोन लिया जाता था, लेकिन निर्यात करने के बजाय कंपनी पैसे को दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर देती थी। यह सिलसिला पिछले 10 वर्षों से जारी था। भारत और दूसरे देशों में ब्याज दर में अंतर के आधार पर निवेश कर भी कमाई की जाती थी।
निश्चित नहीं हो पाई देनदारी : शुरुआती अनुमान लगभग 800 करोड़ रुपए के घोटाले का था, लेकिन सीबीआई जब कोठारी के कानपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारने पहुंची, तो पता चला कि वे बैंक ऑफ बड़ौदा समेत 7 बैंकों से कुल 2,919 करोड़ रुपए ले चुके हैं। ब्याज समेत यह रकम बढ़कर अब 3,695 करोड़ रुपए हो गई है। हालांकि अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया कि सभी बैंकों पर कोठारी की कितनी देनदारी है? इतने बड़े घोटाले की भनक लगते ही ईडी भी सक्रिय हो गया और मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर छापे में सीबीआई के साथ शामिल हो गया।
रियल स्टेट में भी निवेश : सूत्रों के मुताबिक विक्रम कोठारी बैंकों से लोन लेकर रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश किया जिसमें शहर के बड़े घराने साझेदार हैं। विक्रम की गिरफ्तारी होने के बाद से उनके साझीदारों में खलबली मची है। बताया जा रहा है कि कानपुर के कई रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट में विक्रम कोठारी का पैसा लगा हुआ है। जानकारी यह भी आ रही है कि नामी बिल्डर विश्वनाथ गुप्ता समेत अन्य साझीदारों के साथ मिलकर उत्तराखंड में विक्रम कोठारी की ओर से खरीदी गई संपत्तियों को नीलाम करने की तैयारी बैंक ने शुरू कर दी है।
कोर्ट जा चुका है मामला : बताते चलें कि पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया था। कंपनी बैंक के इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बैंक को आदेश दिया कि कंपनी का नाम विलफुल डिफॉल्टर लिस्ट से बाहर किया जाए।
एनसीएलटी की सुनवाई में पत्नी हुई शामिल : बैंक लोन डिफॉल्ट केस मामले में विक्रम कोठारी की पत्नी साधना कोठारी को सीबीआई टीम मंगलवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल (एनसीएलटी) की सुनवाई के लिए साथ ले गई। बताते चलें कि एनसीएलटी बैंकों के लंबित मामलों की सुनवाई करती है। जिसकी आज सुनवाई होनी थी इसी को देखते हुए सीबीआई की टीम ने साधना को वहां पर पेश किया।