नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव बृजेश उपाध्याय,विहिप के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष राघव रेड्डी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करना महंगा पड़ सकता है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार व बीजेपी पर हमलावर होना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को रास नहीं आया है। इसके साथ ही, प्रवीण तोगड़िया, बृजेश उपाध्याय, राघव रेड्डी को उनके पदों से हटाने की तैयारी कर ली गई है।
सूत्रों का कहना है कि इन तीनों नेताओं की कार्यप्रणाली से सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है और इस वजह से संघ का वरिष्ठ नेतृत्व इनसे नाराज हो गया है। इन नेताओं को लेकर यह भी माना जा रहा है कि इन दो संगठनों के कार्यकर्ताओं के विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल भी संघ की विचारधारा के प्रसार के लिए नहीं किया गया है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि फरवरी के अंत तक विहिप की कार्यकारी बैठक आयोजित की जाएगी और संघ की ओर से रेड्डी, तोड़गिया को उनके समर्थकों समेत हटाते हुए नए अध्यक्ष को निर्वाचित करवाने की कोशिश होगी।
संघ नेतृत्व ने ऐसे लोगों को हटाने का मन बना लिया है, जिन्होंने भाजपा सरकार या पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला है। संगठन का मानना है कि उसके साथ जुड़े संगठन केंद्र सरकार के साथ टकराव से बचें और मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाएं।
हाल में विहिप नेता तोगड़िया और बृजेश अक्सर अहम मुद्दों पर मोदी सरकार के खिलाफ बोलकर भाजपा व केंद्र सरकार के लिए समस्याएं खड़ी करते रहे हैं। इसके अलावा गुजरात के पाटीदार आरक्षण आंदोलन में संगठन के कुछ पदाधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
संघ ने विहिप की पिछली कार्यकारी बैठक में रेड्डी के स्थान पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव किया था। लेकिन तब जीत रेड्डी और तोगड़िया समर्थकों की हुई थी। उस समय पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने तक रेड्डी को इस पद पर बने रहने की इजाजत मिल गई थी।
विदित हो कि विहिप में तोगड़िया और रेड्डी समर्थक ज्यादा ताकतवर हैं। इसलिए संघ अब संगठन के उच्च पदों में बदलाव के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहा है। पहले तोगड़िया, रेड्डी और उपाध्याय को पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा। लेकिन शक्ति प्रदर्शन की नौबत आने पर वोटिंग से हटाने की कोशिश की जाएगी।