नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि जरूरत के मुताबिक भारत, ब्रिटेन के समक्ष वहां हुई नस्लवाद की कथित घटनाओं का मुद्दा उठाएगा। भारत को महात्मा गांधी की भूमि करार देते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि देश नस्लवाद को लेकर अपनी आंखें फेर नहीं सकता।
यह बात जयशंकर ने भाजपा के सदस्य अश्विनी वैष्णव द्वारा शून्यकाल में भारतीय मूल की रश्मि सामंत का मुद्दा उठाए जाने पर कही। रश्मि सामंत को कथित नस्लवाद और 'साइबर-बुलिंग' की वजह से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के छात्रसंघ की अध्यक्ष पद से अपने निर्वाचन के 5 दिन के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा था। रश्मि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के छात्रसंघ की अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुई पहली भारतीय महिला थीं। निर्वाचन के बाद सोशल मीडिया पर रश्मि के खिलाफ कई नस्लवादी टिप्पणियां की गईं। अंतत: उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
उच्च सदन में विदेश मंत्री ने कहा कि ब्रिटेन के साथ भारत के मजबूत रिश्ते हैं और जब भी जरूरत होगी, वह उसके समक्ष ऐसे मामले जरूर उठाएगा। जयशंकर ने कहा कि मैं सदन की भावना से अवगत हूं। मैं यह कहना चाहता हूं कि महात्मा गांधी की भूमि होने के नाते हम नस्लवाद से कभी आंखें नहीं फेर सकते, चाहे वह कहीं भी हो। खासकर उस देश में, जहां भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है।
इससे पहले अश्विनी वैष्णव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि रश्मि के अभिभावक हिन्दू हैं और इसे लेकर एक फैकल्टी सदस्य ने खुलेआम उन्हें निशाना बनाया। जयशंकर ने कहा कि ब्रिटेन का मित्र होने की वजह से हमें भी उस देश की प्रतिष्ठा पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता है। मैं यह कहना चाहता हूं कि जरूरत के मुताबिक भारत, ब्रिटेन के समक्ष वहां हुई नस्लवाद की कथित घटनाओं का मुद्दा उठाएगा। हम घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए हैं। हम नस्लवाद तथा किसी भी तरह की असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ब्रिटेन में औपनिवेशिक दौर से अब तक भेदभाव चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के उडुपी की मेधावी छात्रा रश्मि सावंत ने हर चुनौती पार की और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित पहली भारतीय महिला होने का गौरव हासिल किया लेकिन उनके साथ कैसा सलूक किया गया? उनकी उपलब्धि पर गौरवान्वित होने के बजाय उन्हें निशाना बनाया गया और वह भी इस हद तक कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। जिस फैकल्टी सदस्य ने उनके अभिभावकों के धर्म को लेकर सार्वजनिक रूप से प्रतिकूल टिप्पणियां की, उसे कोई सजा नहीं दी गई। अगर ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थान में ऐसा होता है तो दुनिया में क्या संदेश जाएगा?
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रश्मि ने किसी की भी भावनाओं को गैरइरादतन तरीके से आहत करने के लिए सार्वजनिक रूप से माफीनामा जारी किया था। लेकिन वे मानती हैं कि उन्हें सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया गया। भाजपा सदस्य ने ब्रिटेन के युवराज हैरी की पत्नी मेगन मर्केल द्वारा शाही घराने पर लगाए गए नस्लवाद के आरोपों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक समाज का आचरण उसके धर्म और मूल्यों का परिचायक होता है। अगर समाज में उच्च स्तर पर नस्लवाद इसी तरह जारी रहा तो निचले स्तर पर लोग किसका अनुसरण करेंगे?
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह इक्का-दुक्का उदाहरण नहीं हैं बल्कि ब्रिटेन में प्रवासियों के साथ होने वाले सलूक से पूरी दुनिया अवगत है। उन्होंने कहा कि हमारी चिंता जायज है, क्योंकि वहां भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। ब्रिटेन को अब स्वयं को बदलना होगा। अगर वह खुद के लिए सम्मान चाहता है तो उसे खुद में बदलाव लाना होगा। (भाषा)