नई दिल्ली। 'भारत रत्न' सचिन तेंदुलकर राज्यसभा में अपना पदार्पण भाषण सदन में चल रहे गतिरोध और हंगामे के कारण नहीं दे सके तो एक दिन बाद उन्होंने अपनी बात देशभर में पहुंचाने के लिए सोशल साइट फेसबुक का मंच चुना और अपनी बात रखी।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ सचिन को अप्रैल 2012 में राज्यसभा का मनोनीत सदस्य चुना गया था लेकिन इतने वर्षों में पहली बार गुरुवार को उन्होंने उच्च सदन में अपना पदार्पण भाषण देने का विचार किया, हालांकि यह सब योजना के हिसाब से नहीं चल सका और विपक्ष के हंगामे के कारण पूर्व क्रिकेटर अपने भाषण का एक शब्द ही नहीं बोल सके।
मास्टर ब्लास्टर ने हालांकि शुक्रवार को सोशल साइट फेसबुक पर अपनी बात रखी और देश में खेलों की स्थिति और बच्चों के लिए खेलने के अधिकार विषय पर अपना वही भाषण दिया जो वह एक दिन पहले उच्च सदन में देने वाले थे। सचिन ने एक वीडियो फेसबुक पेज पर अपलोड किया है जिसमें वे सादे कपड़ों में कागज़ हाथ में लिए दिखाई दे रहे हैं और अपना भाषण पढ़ रहे हैं।
सचिन ने कहा, मैं कई बातें कल कहना चाहता था लेकिन कह नहीं पाया। मैं भारत को स्पोर्ट्स खेलने वाले राष्ट्रों की तरह बनता देखना चाहता हूं, लेकिन साथ ही जरूरी है कि इसके लिए बदलते भारत और युवाओं की फिटनेस पर ध्यान दिया जाए।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने अपने वीडियो संदेश में कहा, क्रिकेट मेरा जीवन है जबकि मेरे पिता उमेश तेंदुलकर एक कवि और लेखक थे। उन्होंने मुझे हमेशा जो मैं बनना चाहता था वह करने में मदद की। मुझे उन्होंने खेलने की आज़ादी दी और यही खेलने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, मेरा सपना एक स्वस्थ और फिट भारत का है, लेकिन हमारे देश में 75 अरब लोग मधुमेह की बीमारी से पीड़ित हैं और मोटापे की बात करें तो हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं, लेकिन इन बीमारियों से हमारे ऊपर जो आर्थिक बोझ पड़ रहा है, उसके कारण हमारा देश कभी भी तरक्की नहीं कर सकेगा।
सचिन ने हिंदी में कहा, हमारी फिटनेस के सत्र हल्के और खाने के सत्र ज्यादा भारी हो गए हैं और हमें यह आदत बदलनी होगी। हम में से कई लोग केवल खेलने के बारे में बात ही करते हैं लेकिन कभी खेलते नहीं। हमें अपने देश को बदलना होगा और उसे खेल से प्यार करने वाले राष्ट्र के रूप में बदलना होगा। हमारे देश में खेल संस्कृति बनाने की जरूरत है।
राज्यसभा सांसद ने करीब 15 मिनट तक अपना यह भाषण दिया है। हालांकि एक दिन पहले राज्यसभा में वे काफी देर तक अपने स्थान पर खड़े रहे और सभापति वैंकेया नायडू के काफी समझाने के बाद भी विपक्ष के सदस्य हंगामा करते रहे, जिससे सचिन अपनी बात नहीं रख सके थे। (वार्ता)