CAA पर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच मोदी सरकार के लिए एक राहत भरी खबर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे माघ मेले से आई। माघ मेले में विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मडंल की बैठक में तय किया गया है कि पूरे देश में संत समाज CAA के समर्थन में जनजागरुकता अभियान चलाएगा। विहिप की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा होने के बाद इस मुद्दें पर जनजागरुकता अभियान चलाने का प्रस्ताव पास होने के साथ सीएए कानून लाने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद भी ज्ञापित किया गया।
बैठक के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने वेबदुनिया से खास बातचीत में बताया कि बैठक में संतों के बीच CAA को लेकर चर्चा हुई और सभी संतों ने एक सुर में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ करते हुए नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन करने का फैसला किया। वेबदुनिया से बातचीत में महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में पारित प्रस्तावों को मंगलवार (आज) होने वाली संत सम्मेलन में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा।
वेबदुनिया से बातचीत में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि संत समाज ने CAA का समर्थन करने के साथ ही देश में हो रहे धर्मांतरण रोकने के लिए सरकार के प्रयास का सर्मथन करने का निर्णय लिया है। संत समाज गांव- गांव में CAA के समर्थन में जनजागरुकता फैलाने के साथ लोगों को इस कानून की सच्चाई बताएगा। इसके साथ ही संत समाज लोगों से कानून के समर्थन में आगे आने की अपील करेंगे।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि CAA राष्ट्रहित में है और जब खुद गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि नए कानून से देश में रहने वाले मुसलमानों की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है तो फिर इसका विरोध क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में तय किया गया है कि संत समाज अपने अपने तरीके से लोगों को CAA के संबंध में जागरुक करेगी और इसके बारे में लोगों को समझाएंगे।
इससे पहले सोमवार को माघ मेले में विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में सीएए का प्रस्ताव महामंडलेश्वर हरिहरानंद जी महाराज ने रखा और इसका समर्थन साध्वी प्रज्ञा भारती ने किया। इसके साथ ही बैठक में देश में बढ़ती धर्मांतरण की घटनाओं पर भी चिंता जताते हुए केंद्र सरकार के धर्मांतरण रोकने के लिए कठोक कानून बनाने का भी अनुरोध भी किया गया।