Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कवयित्री गगन गिल को ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए साहित्‍य अकादमी सम्‍मान

हमें फॉलो करें gagan gill

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 19 दिसंबर 2024 (13:59 IST)
साहित्य अकादमी ने 2024 के वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की गई है। जिसमें 21 भाषाओं के साहित्यकारों को सम्मान देने की घोषणा की गई है। हिंदी साहित्य के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार कवयित्री गगन गिल को उनकी कृति ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए दिया जाना है। बता दें कि 18 नवंबर 1959 को नई दिल्ली में जन्मीं गगन गिल एक स्थापित कवयित्री हैं।

1983 में उनके पहले कविता संग्रह, 'एक दिन लौटेगी लड़की' के प्रकाशन ने उन्हें साहित्यिक जगत में एक प्रमुख कवयित्री के रूप में स्थापित कर दिया।

उनकी कविताएं स्त्री मन के जटिल भावों को एक नए रूप में प्रस्तुत करती हैं। गगन गिल को उनके साहित्यिक योगदान के लिए पहले भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें 1984 में भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार और 1989 में सर्जनात्मक लेखन के लिए संस्कृति पुरस्कार शामिल हैं। (पुरस्कृत संग्रह के शीर्षक से लिखी कविता)

मैं जब तक आई बाहर
एकांत से अपने
बदल चुका था
रंग दुनिया का
अर्थ भाषा का
मंत्र और जप का
ध्यान और प्रार्थना का
कोई बंद कर गया था
बाहर से
देवताओं की कोठरियाँ
अब वे खुलने में न आती थीं
ताले पड़े थे तमाम शहर के
दिलों पर
होंठों पर
आँखें ढँक चुकी थीं
नामालूम झिल्लियों से
सुनाई कुछ पड़ता न था
मैं जब तक आई बाहर
एकांत से अपने
रंग हो चुका था लाल
आसमान का
यह कोई युद्ध का मैदान था
चले जा रही थी
जिसमें मैं
लाल रोशनी में
शाम में
मैं इतनी देर में आई बाहर
कि योद्धा हो चुके थे
अदृश्य
शहीद
युद्ध भी हो चुका था
अदृश्य
हालाँकि
लड़ा जा रहा था
अब भी
सब ओर
कहाँ पड़ रहा था
मेरा पैर
चीख़ आती थी
किधर से
पता कुछ चलता न था
मैं जब तक आई बाहर
ख़ाली हो चुके थे मेरे हाथ
न कहीं पट्टी
न मरहम
सिर्फ़ एक मंत्र मेरे पास था
वही अब तक याद था
किसी ने मुझे
वह दिया न था
मैंने ख़ुद ही
खोज निकाला था उसे
एक दिन
अपने कंठ की गूँ-गूँ में से
चाहिए थी बस मुझे
तिनका भर कुशा
जुड़े हुए मेरे हाथ
ध्यान
प्रार्थना
सर्वम शांति के लिए
मंत्र का अर्थ मगर अब
वही न था
मंत्र किसी काम का न था
मैं जब तक आई बाहर
एकांत से अपने
बदल चुका था मर्म
भाषा का
स्रोत : पुस्तक : मैं जब तक आई बाहर | रचनाकार : गगन गिल प्रकाशन | वाणी प्रकाशन संस्करण : 2018
Edited by Navin Rangiyal

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

संसद में धक्का-मुक्की को लेकर सियासी पारा गर्म, मोदी ने घायल सांसदों से बात की