कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदम्बरम तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद मंगलवार को कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने भी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल उठाए और सरकार से अपने दावों की पुष्टि के लिए प्रमाण देने की मांग की।
निरुपम ने कहा कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार जाकर भारतीय सेना की सीमित कार्रवाई यानी सर्जिकल स्ट्राइक पर लोग सवाल उठा रहे हैं और इस तरह के सवाल करना लोगों का अधिकार है। सरकार को इस बारे में सही जानकारी देनी चाहिए।
निरुपम ने कहा कि हम इस मामले में प्रमाण चाहते हैं और सरकार को प्रमाण देना चाहिए। इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया कि देश का हर नागरिक पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने के पक्ष में है, लेकिन यह राजनीतिक लाभ अर्जित करने के लिए नहीं होना चाहिए। राष्ट्र के हितों के साथ खिलवाड़ करके राजनीति नहीं की जा सकती है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के उरी में सैन्य ठिकाने पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पिछले सप्ताह भारतीय सेना जम्मू कश्मीर में सीमा पार जाकर सीमित कार्रवाई करके भारतीय सीमा में घुसने के लिए तैयार आतंकवादियों के शिविरों को ध्वस्त कर दिया था।
कांग्रेस में विरोधाभास : निरुपम के बयान के बाद कांग्रेस में ही विरोधाभासी सुर उठ रहे हैं। दूसरी ओर इसे पार्टी की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने निरुपम के बयान से तो किनारा किया, लेकिन परोक्ष रूप से उनका समर्थन करते हुए यह भी कहा कि सरकार को पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। मुंहतोड़ जवाब से यहां उनका आशय हमले के प्रमाण से ही था, जो पाकिस्तान भी मांग रहा है। ये बातें कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को ही उजागर करती हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस के भीतर विरोधभासी बयान आए हैं।
निरुपम यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि भाजपा जिस तरह से राजनीति कर रही है, बैनर उठाकर श्रेय ले रही है, उससे यह धारणा बनती है कि क्या इस तरह के हमले हुए भी थे? गोवा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का सार्वजनिक सम्मान किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि पहले सर्जिकल हमलों की घोषणा क्यों नहीं की जाती थी? अब डीजीएमओ ने क्यों संवाददाता सम्मेलन किया गया? अर्णब गोस्वामी पर भी निशाना साधते हुए निरुपम ने कहा कि अर्णब खुद को देशभक्त समझते हैं तो क्या बाकी सब लोग देशद्रोही हैं। उनका इस बात पर जोर था कि सरकार को सर्जिकल हमले का प्रमाण देना चाहिए।