नई दिल्ली, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 फरवरी को विज्ञान के क्षेत्र में लड़कियों एवं महिलाओं का अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है।
इस पहल का उद्देश्य आधी आबादी की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं गणित (एसटीईएम) जैसे विषयों में सक्रियता को प्रोत्साहन देना है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत सरकार ने 11 फरवरी को विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।
विज्ञान ज्योतिकार्यक्रम का लक्ष्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गणित जैसे विषयों में लड़कियों की रुचि बढ़ाना है, ताकि वे इनसे जुड़े करियर चुनने की दिशा में अग्रसर हो सकें। आरंभिक स्तर पर इस कार्यक्रम को देश के 50 जिलों में शुरू किया है। दूसरे चरण में 50 जिले और जोड़े गए हैं।
एक आम धारणा है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गणित जैसे विषयों में लड़कियों की इन रुचि अपेक्षाकृत कम होती है। ऐसे में, यह कार्यक्रम इन धारणाओं को बदलने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने आशा व्यक्त की है कि इस कार्यक्रम में पिछले एक वर्ष में प्राप्त अनुभवों से और सुधार लाया जा सकेगा। साथ ही यह देश के अधिक से अधिक जिलों में महिलाओं को सशक्त बनाने और शीर्ष विज्ञान संस्थानों में उनकी संख्या बढ़ाने में सहायक होगा।
प्रोफेसर शर्मा ने कहा, “विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व एक समस्या है। हमें इस समस्या के सभी पहलुओं को देखना है, और वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति इस राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकती है, और विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में मदद के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग कर सकती है।”
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम दिसंबर, 2019 से 50 जवाहर नवोदय विद्यालयों में सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 के लिए 50 और ऐसे विद्यालयों में इसे आरंभ कर दिया गया है। फिलहाल यह कार्यक्रम नौवीं से 12 वीं कक्षा की मेधावी लड़कियों के लिए स्कूल स्तर पर शुरू किया गया है, ताकि उन्हें सशक्त बनाकर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में एसटीईएम पाठ्यक्रम में शामिल विषयों की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम से जुड़ी गतिविधियों में छात्र-अभिभावक परामर्श, प्रयोगशालाओं और ज्ञान केंद्रों का दौरा, आदर्श व्यक्तित्व संवाद, विज्ञान शिविर, शैक्षणिक सहायता कक्षाएं, संसाधन सामग्री वितरण जैसी गतिविधियां शामिल हैं। छात्रों को ऑनलाइन शैक्षणिक सहायता से संबंधित गतिविधियों में वीडियो कक्षाएं, अध्ययन सामग्री, दैनिक अभ्यास की समस्याएं और किसी भी तरह की शंकाओं का समाधान करने के लिए सुव्यवस्थित तरीके से सत्र आयोजित करना भी इस कार्यक्रम का हिस्सा है।
डीएसटी के सलाहकार और किरण तथा विज्ञान ज्योति कार्यक्रमों के प्रमुख डॉ. संजय मिश्रा ने कहा कि निकट भविष्य में इस कार्यक्रम के साथ अधिक से अधिक जिलों को जोड़ने की योजना है। वहीं नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के आयुक्त विनायक गर्ग ने कहा कि लड़कियों के लिए अनुकूल परिवेश प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है और यह कार्यक्रम विज्ञान में रुचि लेने वाली लड़कियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
इस पहल के अतिरिक्त डीएसटी ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए-आई) और नवाचार प्रोत्साहन के साथ एआई-आधारित नौकरियों के लिए कुशल श्रमशक्ति तैयार करने के लक्ष्य के अनुरूप महिला विश्वविद्यालयों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रयोगशालाएं भी स्थापित की हैं। (इंडिया साइंस वायर)