अलप्पुझा/तिरुवनंतपुरम (केरल)। केरल के तटीय अलप्पुझा जिले में 2 अलग-अलग पार्टी के नेताओं की हत्या कर दी गई। इनमें एक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के नेता जबकि दूसरे भारतीय जनता पार्टी के नेता थे। इन घटनाओं के बाद रविवार को पुलिस ने निषेधाज्ञा लागू कर दी।
जिले के अधिकारियों ने बताया कि एसडीपीआई के प्रदेश सचिव की हत्या के करीब 12 घंटे बाद भाजपा के एक नेता की हत्या कर दी गई। इसके बाद रविवार को पूरे अलाप्पुझा जिले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई।
आईजी हर्षिता अटालूरी ने बताया कि इसके बाद पुलिस ने असामाजिक तत्वों, आम जनता के साथ-साथ भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं सहित लगभग 50 लोगों को हिरासत में लिया।
अधिकारी ने कहा कि हिरासत में लिए गए सभी व्यक्ति अपराधी नहीं हैं और पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि एसडीपीआई नेता पर हमले के तुरंत बाद हरकत में आई पुलिस की ओर से कोई चूक नहीं हुई है। उन्होंने कहा, हम हर घर को सुरक्षा नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधों के पीछे सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, चाहे वे राजनीतिक लोग हों, असामाजिक तत्व हों या आम लोग हों। उन्होंने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है। अधिकारी ने कहा कि जल्द ही वे हत्याओं के पीछे के मकसद का पता लगा लेंगे।
इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को इन हत्याओं की निंदा की और कहा कि पुलिस दोषियों और घटना में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए कदम उठाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा के ऐसे जघन्य और अमानवीय कृत्य देश के लिए खतरनाक हैं और लोगों को ऐसे समूहों और उनकी घृणित गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।
केरल में एसडीपीआई के प्रदेश सचिव केएस शान पर शनिवार की रात घर लौटते समय बेरहमी से हमला किया गया। शान की पार्टी एसडीपीआई ने आरोप लगाया कि घटना के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हाथ है।
पुलिस ने बताया कि शान ने आधी रात के करीब कोच्चि के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस ने बताया कि इसके कुछ घंटों बाद रविवार सुबह कुछ हमलावरों ने भाजपा के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के प्रदेश सचिव रंजीत श्रीनिवास के घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी। पुलिस को संदेह है कि शान की हत्या के प्रतिशोध में श्रीनिवास पर घातक हमला किया गया। श्रीनिवास भाजपा प्रदेश समिति के सदस्य भी थे।
राज्य पुलिस प्रमुख (एसपीसी) अनिल कांत ने मीडियाकर्मियों को बताया कि जिले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद हैं और वहां अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि एडीजीपी (कानून व्यवस्था) हत्या के इन दोनों मामलों की जांच का नेतृत्व करेंगे और निकट भविष्य में ऐसी किसी घटना को रोकने के लिए पुलिस जल्द ही क्षेत्र में उपद्रवियों, गुंडों और उनके सरगना को गिरफ्तार करेगी।
कांत ने यह भी कहा कि राज्यव्यापी अलर्ट की घोषणा की गई है और सभी जिला पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे वहां कानून व्यवस्था की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखें और यदि जरूरत पड़ी तो निषेधाज्ञा लागू की जाएगी और अतिरिक्त बल तैनात किए जाएंगे।
केंद्रीय विदेश और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भाजपा नेता की हत्या को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि अगर एसडीपीआई नेता की हत्या के बाद पुलिस ने उचित कदम उठाए होते तो स्थिति वर्तमान स्तर तक नहीं जाती।
उन्होंने कहा कि श्रीनिवास की हत्या एसडीपीआई नेता की हत्या के बाद राज्य सरकार और पुलिस द्वारा एहतियाती या निवारक कदम उठाने में विफलता का परिणाम है। मुरलीधरन ने यह भी कहा कि उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा नेता की हत्या के पीछे एसडीपीआई का हाथ है।
उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया कि एसडीपीआई नेता की मौत के पीछे आरएसएस का हाथ था। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और एसडीपीआई के बीच संघर्ष था और पुलिस को इस संबंध में जांच करनी चाहिए कि कौन इस मामले में भाजपा को फंसाने की कोशिश कर रहा है।
भाजपा की केरल इकाई के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि सोशल मीडिया पर आरएसएस की तुलना एसडीपीआई से करने की कोशिश की जा रही है, जो इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक संगठन है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भी पीएफआई का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि राज्य के कई नगर निगमों में माकपा और एसडीपीआई सक्रिय रूप से एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने आरोप लगाया था कि भाजपा और एसडीपीआई राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं, जिसके जवाब में मंत्री की यह प्रतिक्रिया आई है।
इस बीच, एसडीपीआई की केरल इकाई के अध्यक्ष ने एक बयान जारी कर उन आरोपों का खंडन किया कि भाजपा नेता की हत्या में पार्टी का हाथ है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शान की मौत के प्रतिशोध में किसी अन्य व्यक्ति की जान लेने वाली नहीं है और उसे देश में कानून के शासन में विश्वास है। एसडीपीआई ने कहा कि श्रीनिवास की हत्या के मामले में पार्टी को फंसाने का मकसद उसकी छवि खराब करना है।
राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को स्थिति का आकलन करना चाहिए और केरल सरकार को बर्खास्त करना चाहिए। उन्होंने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया और दावा किया कि इसके सदस्यों को पाकिस्तान जाना चाहिए, क्योंकि वे भारत से अलग होने की मांग कर रहे थे।
दूसरी ओर, कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाले यूडीएफ विपक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा और एसडीपीआई दोनों राज्य में अपने लिए एक राजनीतिक जगह बनाने के लिए राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं और इसलिए राज्य सरकार और केरल के लोगों को ऐसे समूहों से दूर रहना चाहिए।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि इन समूहों का एजेंडा राज्य को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करना है और वाम सरकार को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस की केरल इकाई के अध्यक्ष एवं पार्टी सांसद के सुधाकरन ने एक बयान में इस तरह की राजनीतिक हत्याओं के लिए वाम सरकार के एसडीपीआई और आरएसएस के समर्थन को भी जिम्मेदार ठहराया।
पुलिस ने बताया कि एसडीपीआई नेता जब घर लौट रहे थे तभी एक कार ने उनकी मोटरसाइकल को टक्कर मार दी। टक्कर के बाद जैसे ही वह गिरे हमलावरों ने उनके साथ मारपीट की, जिससे उनकी मौत हो गई। भाजपा नेता की हत्या के बाद निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।(भाषा)