वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक का मंगलवार को उनका निधन गुरुग्राम में निधन हो गया। वे करीब 78 साल के थे। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार की सुबह वे नहाने के लिए बाथरूम में गए थे, लेकिन काफी देर तक बाहर नहीं आए। खटखटाने पर भी जब दरवाजा नहीं खोला तो सुबह करीब साढ़े 9 बजे परिवार के लोगों ने दरवाजा तोड़ा, वैदिक जी बाथरूम में बेसुध हालत में मिले। उन्हें तुरंत पास में स्थित प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि उनका निधन हुए काफी समय हो चुका है।
बता दें कि वेद प्रताप वैदिक ने आतंकी हाफिज सईद का इंटरव्यू किया था, जो पूरे देश में काफी चर्चा में रहा था। इसके साथ ही वैदिक जी एक राजनीतिक विश्लेषक थे। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई के हिंदी उपक्रम भाषा की स्थापना की थी और वह उसके पहले संपादक भी थे। इसके अलावा वे कई संस्थानों के संपादक रहे। पिछले कई सालों से उनके लेख अलग-अलग समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं। वे लगातार लेखन कर रहे थे।
आतंकी हाफिज सईद का लिया इंटरव्यू
डॉ वेद प्रताप वैदिक सबसे ज्यादा देशभर में उस समय चर्चा में आए थे। जब साल 2014 में उन्होंने आतंकी हाफिज सईद से मुलाकात कर उसका इंइरव्यू किया था। उन्होंने सईद के इंटरव्यू को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया, जिस पर काफी विवाद हुआ था। भारत लौटने पर उन्होंने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान जाते हैं, तो वहां उनका जोरदार स्वागत नहीं होगा। इस मामले में उनके खिलाफ राजद्रोह का केस भी दर्ज हुआ था।
इंदौर में हुआ था जन्म
मध्यप्रदेश के इंदौर में 30 दिसंबर 1944 को डॉक्टर वैदिक का जन्म हुआ था। इस वजह से इंदौर से उनका गहरा नाता रहा है। वैदिक जी अंतरराष्ट्रीय मामलों में जानकार होने के साथ ही उनकी रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा पर पकड़ रही। डॉ. वैदिक ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की। अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखने वाले वे पहले शख्स थे। उन्होंने अपनी पीएचडी के शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मॉस्को के इंस्तीतूते नरोदोव आजी, लंदन के स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।
कई सम्मान मिले थे डॉ वैदिक को
डॉक्टर वैदिक को मीडिया और भाषा के क्षेत्र में काम करने के लिए कई सम्मान दिए जा चुके हैं। उन्हें विश्व हिन्दी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008), दिनकर शिखर सम्मान, पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण-पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी सम्मान, लोहिया सम्मान, काबुल विश्वविद्यालय पुरस्कार, मीडिया इंडिया सम्मान, लाला लाजपतराय सम्मान आदि दिए गए। वे कई न्यासों, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय।
Edited by Navin Rangiyal