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कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, अकाली दल ने कहा- भारत के लिए काला दिन है

हमें फॉलो करें कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, अकाली दल ने कहा- भारत के लिए काला दिन है
, रविवार, 27 सितम्बर 2020 (23:49 IST)
चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (shiromani akali dal)  के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा 3 कृषि विधेयकों के साथ जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक को दी गई मंजूरी को रविवार को ‘दुखद, निराशाजनक और बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।

एक बयान जारी कर बादल ने कहा कि देश के लिए आज ‘काला दिन’ है क्योंकि राष्ट्रपति ने राष्ट्र के अंत:करण के अनुरूप काम करने से इंकार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि शिअद ही किसानों की चिंता करने वाली पार्टी है न कि भाजपा और कांग्रेस।
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उन्होंने कहा कि हमें बहुत उम्मीद थी कि राष्ट्रपति इन तीनों विधेयकों को अकाली दल और कुछ अन्य दलों की मांग के अनुरूप संसद को पुनर्विचार के लिए वापस देंगे।

बादल ने कहा कि पार्टी जल्द ही आपसी मंत्रणा के बाद अपने अगले रुख का खुलासा करेगी। राष्ट्रपति कोविंद ने आज तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दी, जिनके चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
गजट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी। ये विधेयक हैं- 1) किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, 2) किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और 3) आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020।
 
राष्ट्रपति कोविंद ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक, 2020 को भी आज मंजूरी दी। इसमें जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची में उर्दू और अंग्रेजी के अतिरिक्त कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को शामिल किया गया है। हाल में मानसून सत्र के दौरान संसद ने विधेयक को पारित किया था।
 
बादल के नेतृत्व में शिअद नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात कर इन विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने की अपील की थी। बादल ने कहा कि विधेयकों का मसौदा तय करने से पहले अकाली दल से कोई सलाह-मश्विरा नहीं किया गया था।
 
उन्होंने कृषि विधेयकों को किसानों, खेत मजदूरों और आढ़तियों के खिलाफ बताया और सभी राजनीतिक दलों से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों के संपूर्ण हित में हम हर संघर्ष के लिए तैयार हैं।
 
मालूम हो कि संसद से पारित कृषि संबंधित विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गया है। पार्टी की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कैबिनेट मंत्री के पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। (भाषा) 

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