मुंबई। शिवसेना ने शनिवार को तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को इस सप्ताह के शुरू में चक्रवात ताऊते के बीच मुंबई तट पर बजरा (बार्ज) के डूबने से कई कर्मियों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि क्या पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान त्रासदी की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देंगे।
अपने मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में पार्टी ने कहा कि मौतें प्राकृतिक आपदा के कारण नहीं हुईं, बल्कि यह गैर इरादतन हत्या का मामला है क्योंकि ओएनजीसी ने चक्रवात की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।
सरकार द्वारा संचालित तेल और गैस प्रमुख ओएनजीसी के एक अपतटीय तेल ड्रिलिंग प्लेटफॉर्म के रखरखाव के काम में लगे कर्मियों के साथ बजरा पी-305 सोमवार शाम चक्रवात के दौरान डूब गया। इस त्रासदी में आधिकारिक मौत का आंकड़ा 60 तक पहुंच गया है।
संपादकीय में कहा गया, चक्रवात की चेतावनी पहले ही दे दी गई थी, लेकिन ओएनजीसी ने इसे नजरअंदाज कर दिया और बजरे पर मौजूद 700 कर्मियों को वापस नहीं बुलाया। बार्ज डूब गया और 75 कर्मियों की मौत हो गई, जबकि 49 शव मिल गए हैं और 26 अभी भी लापता हैं।
उसमें कहा गया, अगर भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने खोज और बचाव अभियान शुरू नहीं किया होता, तो सभी 700 लोग समुद्र में डूब जाते। ये कर्मचारी भले ही किसी निजी कंपनी के कर्मचारी हों, लेकिन ये ओएनजीसी के लिए काम कर रहे थे। इसलिए उनकी रक्षा करना ओएनजीसी प्रशासन का कर्तव्य था।(भाषा)