मुंबई। शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि साईंबाबा की जन्मस्थली को लेकर उपजा विवाद बेवजह है और इसके लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दोष नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह तो कोई नहीं बता सकता है कि 19वीं सदी के संत का जन्म वास्तव में शिर्डी में हुआ था अथवा नहीं।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया कि शिर्डी साईंबाबा की बदौलत समृद्ध हुआ है और जिस शहर में संत की मृत्यु हुई, वहां की समृद्धि को कोई नहीं छीन सकता। इसमें यह भी कहा गया कि साईंबाबा संस्थान की संपत्ति 2,600 करोड़ रुपए से अधिक है और इससे सामाजिक कार्य किए जाते हैं।
इसमें कहा गया कि ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी को ‘अपने मन से’ साईंबाबा का जन्मस्थान नहीं बताया था बल्कि इसका आधार कुछ इतिहासकारों के मत थे।
नौ जनवरी को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ठाकरे ने कहा था कि साईंबाबा का जन्मस्थान माने जाने वाले पाथरी को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने 100 करोड़ रुपए के अनुदान की घोषणा भी की थी।
इससे खड़े हुए विवाद के चलते शिर्डी के लोगों ने रविवार को बंद की घोषणा की जिसे वापस ले लिया गया। फिर मुख्यमंत्री ने शिर्डी के कुछ लोगों से मुलाकात की और यह विवाद हल हो गया।
मुखपत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने कोई विवाद खड़ा नहीं किया। पाथरी और शिरडी के लोगों को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे साईंबाबा की आभा फीकी पड़ेगी। सामना में कहा गया कि साईंबाबा शिर्डी के अहमदनगर में अवतरित हुए थे, लेकिन यह कोई नहीं कह सकता है कि उनका जन्म वहां हुआ था।
इसमें कहा गया कि बाबा शिर्डी में कहां से आए थे, क्या वह पाथरी से आए थे। परभणी के सरकारी गजट में जिक्र है कि कुछ लोगों के मुताबिक यह (पाथरी) शिर्डी के साईंबाबा का जन्मस्थान हो सकता है।
संपादकीय में कहा गया कि गजट मुख्यमंत्री ने नहीं लिखा, न प्रकाशित करवाया। इसलिए विवाद का दोष उन पर नहीं मढ़ा जा सकता।